शुक्रवार को अचानक मावठ की जगह ओलावृष्टि हुई तो गांव-मोहल्लों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। ओलों की बारिश से बचने के लिए लोग घरों में घुस गए तो खुले में बंधे कई मवेशी तो बचने के लिए खूंटे तोड़कर इधर-उधर दौड़ने लगे। ओलावृष्टि से सरसों की फसल में सर्वाधिक नुकसान है, जिसे लेकर किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं।
सूरज कम निकलने के कारण सर्दी का अहसास बना रहा। शाम को तेज गर्जना शुरू हुई तो किसान मावठ की उम्मीद लगाए बैठे थे, जिससे फसलों को लाभ मिल सके, लेकिन हुआ इसके विपरीत। शाम करीब साढ़े छह बजे अचानक मावठ के बजाय ओलावृष्टि शुरू हुई। प्रदेश के कई जिलों में गांवों व ढाणियों में चने के आकार के ओले गिरने से अफरा-तफरी का माहौल बन गया। कुछ पशुपालक तो मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने में सफल रहे, लेकिन अधिकतर ओलावृष्टि के कारण ऐसा नहीं कर पाए, जिसके चलते कई जगह तो मवेशी खूंटे तोड़कर इधर-उधर भागते नजर आए।
यूं तो खेतों में वर्तमान में गेहूं, जौ, सरसों व तारामीरा आदि की फसल है, लेकिन गेहूं व जौ के पौधे छोटे होने के कारण उनको ओलावृष्टि से आंशिक नुकसान हो सकता है, लेकिन सरसों व तारामीरा में फूल आने के कारण इनमें नुकसान की आशंका ज्यादा है। किसान हरबक्श बाज्या की मानें तो भूतेडा में छोटे रसगुल्लों के बराबर ओले गिरे हैं। इससे सरसों की फसल में भारी नुकसान है। ओलावृष्टि का असर न सिर्फ फसलों पर पड़ा है, बल्कि गुरुवार को शादी-विवाह समेत अन्य उत्सव होने के कारण वहां भी रंग में भंग पड़ सी गई। ओलावृष्टि से इन स्थानों पर भी अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।