राजस्थान विधानसभा का चुनावी किस्सा: दशकों से चुनावी सभाओं का केंद्र रहा माधोगंज मंडी गेट
पत्रिका संवाददाता ने जब इस बारे में विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय हो चुका है। इसके कुछ देर बाद वेबसाइट पर सारा डाटा सही कर बसपा विधायकों का कॉलम हटा दिया गया और बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में जोड़ उसका आंकडा 102 से 108 कर दिया गया ।
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राज्य में 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी। उस समय बसपा के छह विधायक भी जीत कर आए थे। वर्ष 2008 की तरह ही इस बार भी बसपा के विधायकों का कांग्रेस में विलय हो गया। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से विलय को मंजूरी मिली और 18 सितम्बर, 2019 को विधानसभा की ओर से इस संबंध में बुलेटिन भी जारी कर दिया गया। इसके बाद विधानसभा की वेबसाइट भी अपडेट कर बसपा विधायकों की संख्या शून्य कर दी गई। कांग्रेस के विधायकों की संख्या भी बढ़ाकर 108 कर दी गई। चार साल तक यही स्थिति रही, लेकिन पिछले दिनों विधानसभा की वेबसाइट ने बसपा के विधायकों की संख्या 6 बता कर विवाद की स्थिति पैदा कर दी।
ये विधायक हुए थे कांग्रेस में शामिल: 2018 में बसपा से जीत कर आए जोगिन्दर सिंह अवाना, दीपचंद खेरिया, राजेन्द्र सिंह गुढ़ा, लाखन सिंह, वाजिब अली, संदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
दो तो अब कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी: कांग्रेस ने इस बार जो प्रत्याशियों की सूची जारी की है। उनमें उन विधायकों को भी टिकट दिया गया है, जो 2018 में बसपा से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वाजिब अली को नगर और लाखन सिंह को करौली से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किया जा चुका है।