मुंडावर, अलवर।सीआरपीएफ के जवान लक्ष्मण सिंह छत्तीसगढ़ में सुकमा के नक्सली हमले में शहीद हो गए। वे मुण्डावर क्षेत्र के गांव सुन्दरवाडी के निवासी थे। वे अपने पीछे पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चों को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ गए। बेटी पायल कक्षा पांचवीं तथा बेटा कुणाल यूकेजी का छात्र है। परिजनों के अनुसार दोनों बच्चे एनईबी स्थित सेन्टोस पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं।
इधर, लक्ष्मण सिंह के सुकमा नक्सली हमले में शहीद होने की सूचना जैसे ही अलवर में रहने वाले उनके परिजनों को लगी, घर में कोहराम मच गया। शहीद की पत्नी शीला का तो रो-रोकर बुरा हाल था। उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पड़ोसी महिलाएं उसे खूब संभालने का प्रयास कर रही थी, लेकिन वह बार-बार रोते-रोते बेहोश हो जाती। बाद में परिजन पड़ोस स्थित एक चिकित्सक को बुलाकर लाए। शहीद के परिजनों का भी सूचना मिलने के बाद हाल-बेहाल था।
लक्ष्मण के शहीद होने की सूचना पर मोती नगर स्थित कॉलोनी में भी सन्नाटा पसर गया। लोगों के कदम खुद व खुद शहीद के घर की आेर निकल लिए। हर कोई शहीद की पत्नी व बच्चों को ढांढस बंधाने में लगा था।
रविवार को ही वापस गया था ड्यूटी पर शहीद के भाई जयसिंह ने बताया कि लक्ष्मण रविवार के ही वापस ड्यूटी पर गया था और मंगलवार को यह सूचना आ गई। उन्होंने बताया कि लक्ष्मण बीस दिन की छुट्टी लेकर हाल ही घर आया था। उसे साल भर पहले कई नक्सलियों को ढेर करने पर गैलेन्ट्री प्रमोशन मिला था। उसके घर आने पर परिजनों ने उसके प्रमोशन पर खुशी भी जताई थी। गौरतलब है कि लक्ष्मण सीआरपीएफ में हैडकांस्टेबल के पद पर कार्यरत था।
छत्तीसगढ़ कंट्रोल रूम से मिली सूचना लक्ष्मण के शहीद होने की परिजनों को सूचना छत्तीसगढ़ कंट्रोल रूम से मिली। भाई जयसिंह ने बताया कि कंट्रोल रूम से फोन लक्ष्मण की पत्नी के मोबाइल पर आया। उसने गांव का नम्बर दे दिया। इस पर कंट्रोल रूम से गांव में परिजनों को फोन आया। इस पर जयसिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण अलवर आए और शहीद की पत्नी व बच्चां को ढाढ़स बंधाया।
Home / Jaipur / 5वीं में बेटी- UKG में बेटे को छोड़ ‘शहीद’ हुए लक्ष्मण सिंह, पापा के छुट्टी पर लौटने का रहता था इंतज़ार