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राजस्थान में कांग्रेस को जीत की पूरी उम्मीद थी, फिर भी क्यों हार गई, ये हैं भाजपा की जीत के 5 कारण

प्रदेश चुनावी नतीजों में सातों संभाग में अलग-अलग तस्वीर नजर आई। जयपुर संभाग का राजनीतिक मिजाज इस बार बदला-बदला सा रहा। संभाग की 50 सीटों में जहां पिछली बार भाजपा के हाथ सिर्फ 10 सीटें लगी थी, वहीं इस बार 26 सीटें जीतकर उसने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया।

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जयपुर

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Kirti Verma

Dec 05, 2023

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अनंत मिश्रा
प्रदेश चुनावी नतीजों में सातों संभाग में अलग-अलग तस्वीर नजर आई। जयपुर संभाग का राजनीतिक मिजाज इस बार बदला-बदला सा रहा। संभाग की 50 सीटों में जहां पिछली बार भाजपा के हाथ सिर्फ 10 सीटें लगी थी, वहीं इस बार 26 सीटें जीतकर उसने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया। पिछले चुनाव में 30 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को इस बार 24 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। यहां10 सीटें जीतने वाले अन्य दल और निर्दलीय खाता खोलने को भी तरस गए। चुनाव के बाद अब चर्चा जीत को लेकर है। भाजपा-कांग्रेस जिन सीटों पर जीती तो क्यों जीती और हारी तो उसके क्या कारण रहे? जयपुर जिले की शहर की 10 सीटों पर जहां ध्रुवीकरण पूरी से हावी रहा, वहीं ग्रामीण सीटों पर जातिगत समीकरणों का कोहरा छाया रहा।

जयपुर में विद्याधर नगर से भाजपा प्रत्याशी दिया कुमारी की जीत का कारण उनका ग्लैमर रहा तो भाजपा के गढ़ के रूप में इस सीट ने मतों से झोली भर दी। आदर्शनगर व किशनपोल में हुए ध्रुवीकरण का फायदा कांग्रेस को मिला तो भाजपा टिकट वितरण से उपजी नाराजगी को दूर नहीं सकी। आमेर में भाजपा प्रत्याशी सतीश पूनिया की हार का प्रमुख कारण जातीय गोलबंदी रही। जिसे वे भेद नहीं पाए। झोटवाड़ा में बगावत के बावजूद भाजपा की बड़ी जीत का कारण राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का नाम रहा। कांग्रेस की हार कारण प्रत्याशी की पहचान का संकट रहा।

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सीकर लक्ष्मणगढ़ सीट पर गोविंद सिंह डोटासरा को विकास कार्योंके चलते जीत मिली। भाजपा प्रत्याशी दलबदलू होने के आरोपों से घिरे रहे। इस तरह झुंझुनूं में बृजेन्द्र - ओला को जाट व अल्पसंख्यकों का सहयोग मिला, वहीं टिकट वितरण से उठे बवाल को भाजपा नहीं संभाल पाई। नवलगढ़ में कांग्रेस के राजकुमार शर्मा की हार के पीछे एंटी इन्कबेंसी रहा। दौसा जिले में भाजपा को मिली सफलता का कारण मोदी का आकर्षण रहा। अलवर जिले में जातीय समीकरणों के चलते चुनावी टक्कर में भाजपा-कांग्रेस के चुनावी मुद्दे नहीं चल पाए।

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भाजपा की जीत के 5 कारण
-संगठन में एकजुटता दिखी और प्रत्याशी भितरघात से बचे रहे।
-प्रदेश में पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लडऩा फायदे का सौदा रहा।
-टिकट वितरण में प्रदेश से सभी नेताओं का बात मानी गई, इसका फायदा मिला।
-प्रचार अभियान में राष्ट्रीय नेताओं के साथ प्रदेश के नेताओं को सभी क्षेत्रों में भेजा गया।
-भाजपा सनातन के मुद्दे से वोटों के ध्रुवीकरण के प्रयास में सफल रही।

कांग्रेस की हार के 5 कारण
-प्रदेश के बड़े नेताओं के विवाद के कारण कार्यकर्ता भी एक नहीं हो पाए।
-टिकट वितरण में बड़े नेताओं ने मनमानी की, इसका सीधान नुकसान हुआ।
-खराब छवि वाले विधायक और मंत्रियों को भी टिकट दिया।
-कार्यालय के अंत में ज्यादा घोषणाएं करना, जिन पर जनता को विश्वास नहीं हुआ।
-महिलाओं से जुड़े अपराध ज्यादा होने से कांग्रेस की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ा।