scriptRajasthan Election Result 2024 : राजस्थान में वसुंधरा की पकड़ अब भी बरकार, बेटे को नहीं जितवा पाए गहलोत, इन सीटों पर बीजेपी ने मारी बाजी | Rajasthan Election Result 2024: Vasundhara's hold in Rajasthan is still intact, Gehlot could not get his son elected, BJP won these seats | Patrika News
जयपुर

Rajasthan Election Result 2024 : राजस्थान में वसुंधरा की पकड़ अब भी बरकार, बेटे को नहीं जितवा पाए गहलोत, इन सीटों पर बीजेपी ने मारी बाजी

कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए भाजपा को जीत की हैट्रिक नहीं लगाने दी। कांग्रेस एलायंस जहां 11 सीटें जीतने में कामयाब रहा, तो भाजपा के खाते में 14 सीटें ही आईं।

जयपुरJun 05, 2024 / 05:02 pm

जमील खान

Rajasthan Lok Sabha Election Results 2024 : अठाहरवी लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में जनता ने अपना फैसला सुनाया। परिणाम देखें तो भाजपा नीत एनडीए गठबंधन को 292, तो इंडिया एलायंस के खाते में 233 सीटें आई है ं। सबसे तगड़ा झटका सत्ताधारी भाजपा को लगा है। उसने 370 पार का नारा दिया था, लेकिन पार्टी 240 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। उसके पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 63 सीटों का नुकसान हुआ है। वहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया एलायंस के खाते में 233 सीटें आई हैं। बात राजस्थान की करें तो सत्ताधारी भाजपा को पूरी उम्मीद थी की 2014 और 2019 में मिली प्रचंड सफलता को वह 2024 के चुनावों में भी हासिल कर लेगी और सभी 25 सीटें जीतकर जीत की हैट्रिक लगाएगी।
लेकिन, कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए भाजपा को जीत की हैट्रिक नहीं लगाने दी। कांग्रेस एलायंस जहां 11 सीटें जीतने में कामयाब रहा, तो भाजपा के खाते में 14 सीटें ही आईं। भाजपा को सबसे बड़ा झटका मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के इलाकों में लगा जहां कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज कर ये सीटें अपने नाम कर ली। भरतपुर जहां सीएम शर्मा का गृह जिला है, तो किरोड़ी लाल दौसा जिले से आते हैं। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।
चुनाव परिणाम आने से पहले किरोड़ी लाल ने कहा था कि पीएम मोदी ने उन्हें प्रदेश की सात सीटों की जिम्मेदारी दी है। अगर पार्टी इनमें से एक भी सीट जार जाती है तो वह इस्तीफा दे देंगे। इन सात सीटों में दौसाा भी शामिल थी। चुनाव के नतीजे आने के बाद एक्स पर किए पोस्ट में किरोड़ी ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि वह कैबिनेट से इस्तीफा देंगे। वहीं, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोंविद सिंह डोटासरा ने भी कहा था कि जहां तक मैं किरोड़ी लाल को जानता हूं, वह जो एक बार बोल देते हैं, उसपर वह कायम रहते हैं।
राजस्थान लोकसभा चुनाव परिणाम देखें तो भाजपा के कई नेताओं की पकड़ अभी भी लोगों पर बनी हुई है, तो वहीं कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं के लिए प्रदेश की लोकसभा सीटों का परिणाम अच्छा नहीं रहा। इनमें पूर्व सीएम अशोक गहलोत शामिल हैं। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जादू अभी भी बरकरार है। राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़-बारां सीट से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे, वहीं गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत को जालोर-सिरोही सीट से जीत नहीं दिलवा पाए। पूर्व सीएम गहलोत ने वैभव की जीत सुनिश्चित करने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगाया था, लेकिन उनका जादू नहीं चल पाया।
इन सीटों पर भाजपा बजा डंका, तो कांग्रेस ने ये सीटें जीतकर कर प्रदेश में वापसी की
जयपुर शहर सीट
इस सीट से भाजपा ने मंजू शर्मा को टिकट दिया था। कांग्रेस ने पहले इस सीट से स्थायनीय कार्यकर्ता सुनील शर्मा को टिकट दिया था, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने उनके नाम पर आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया था कि वह (शर्मा) संघ की विचारधारा वाले व्यक्ति हैं जिसके बाद पार्टी ने उनका टिकट वापस लेकर आनन-फानन में पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट थमा दिया। लेकिन, इसका जनता पर कोई असर नहीं पड़ा और मंजू शर्मा ने खाचरियावास को 3 लाख 31 हजार 767 मतों से हराकर शानदार जीत दर्ज की। मंजू को जहां 8 लाख 86 हजार 850, तो खाचरियावास को महज 5 लाख 55 हजार 83 वोट मिले।
जलोर-सिरोही सीट
वैभव गहलोत के यहां से चुनाव लडऩे के चलते यह सीट प्रदेश की हॉट सीटों में से एक में शुमार हो गई थी। अशोक गहलोत ने अपने बेटे की जीत सुनिश्चित करने के लिए कई दौरे और जनसभाएं की। इसी के चलते जालोर को हॉट सीट माना जा रहा था, लेकिन पूर्व सीएम गहलोत का यहां जादू नहीं चला और वह अपने बेटे को जीत नहीं दिलवा पाए। भाजपा ने वैभव के सामने लाुम्बाराम चौधरी को टिकट दिया था। चौधरी ने भी अपनी पार्टी को निराश नहीं किया और यहां से शानदार जीत दर्ज की।
झालावाड़-बारां सीट
इस सीट से दुष्यंत सिंह भाजपा की टिकट पर मैदान में थे। दुष्यंत प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे हैं, जिसके चलते यह सीट भी प्रदेश की हॉट सीट में शुमार थी। इस सीट पर वसुंधरा राजे की पकड़ अभी भी बरकार है। पूर्व में वह इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ती थीं। उनके यह सीट छोडऩे के बाद से दुष्यंत यहां से चुनाव लड़ते आ रहे हैं। राजे की मजबूत पकड़ का फायदा भाजपा को मिला और यह सीट पार्टी के खाते में एक बार फिर आ गई। दुष्यंत के सामने कांग्रेस ने उर्मिला जैन को टिकट दिया था। दुष्यंत ने 3 लाख 70 हजार 898 के बड़े अंतर से उर्मिला को हराकर जीत दर्ज की।
जोधपुर सीट
इस सीट से केंद्र में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मैदान में थे। उनके सामने कांग्रेस ने करनसिंह उचियारड़ा को प्रत्याशी बनाया था। इस सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिली। माना जा रहा था कि शेखावत आसानी से इस सीट से जीत जाएंगे, लेकिन उचियारड़ा ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। शेखावत को जहां 7 लाख 22 हजार 978, तो कांग्रेस प्रत्याशी को 6 लाख 8 हजार 228 मत मिले।
राजसमंद लोकसभा सीट
नतीजे आते आते शाम तक स्थिति साफ हो गई कि यहां से कौन जीत रहा है। यह सीट भाजपा के खाते में गई। पिछले चुनाव में दिया कुमारी यहां से सांसद चुनी गई थी, जो अब राजस्थान सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं। उनकी जगह भाजपा ने महिमा सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था, तो कांग्रेस ने दामोदर प्रसाद गुर्जर को टिकट दिया था। एक तरफा मुकाबले में महिमा ने गुर्जर को 3 लाख 92 हजार 223 मतों से हराया।
अजमेर सीट
यह भी प्रदेश की हॉट सीटों में से एक है। भाजपा ने यहां से एक बार फिर भागीरथ चौधरी पर भरोसा जताया, तो कांग्रेस ने भी उनके सामने जाट नेता रामच्रंद चौधरी को टिकट दिया।क्ष्दोनों ही प्रत्याशी एक ही समाज से आने के बावजूद भाजपा के भागीरथ चौधरी ने अपने निकटत प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के रामचंद्र को एक तरफा मुकाबले में 3 लाख 29 हजार 991 मतों से हराया। बीकानेर में लगाताार चौथी बार जीते अर्जुन मेघवाल भाजपा ने लगातार चौथी बार अर्जुन राम मेघवाल पर भरोसा जताते हुए उन्हें बीकानेर से मैदान में उतारा। वह पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे और उन्होंने कांग्रेस के गोविंद राम मेघवाल को हराकर चौथी बार संसद पहुंचे। केंद्र में मंत्री होते हुए भी अर्जुनराम मेघवाल महज 55 हजार 711 वोटों से ही जीते।
भीलवाड़ा सीट
इस सीट से भाजपा ने सुभाष चंद्र बहेरिया की जगह दामोदर अग्रवाल को टिकट दिया था, तो कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे सी पी जोशी को यहां से टिकट दिया था। माना जा रहा था कि यहां दोनों नेताओं के बीच कड़ी टक्कर होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अग्रवाल ने एक तरफा मुकाबले में सी पी जोशी को 3 लाख 54 हजार 606 मतों से हराकर सीट को बरक रार रखा।
अलवर सीट का संग्राम
अलवर लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े भूपेंद्र यादव ने पार्टी का भरोसा कायम रखा और 48 हजार 282 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार ललित यादव को हराकर संसद पहुंचे। हालांकि, ललित यादव ने बाहरी बनाम स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा उठाया, लेकिन उस बात का असर मतदाताओं पर ज्यादा नहीं पड़ा। पिछले चुनाव में बाबा बालकनाथ अलवर से सांसद थे, लेकिन भाजपा ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिया था।
उदयपुर सीट
भाजपा ने इस सीट से जहां मन्नालाल रावत पर भरोसा जताया, तो कांग्रेस ने पूर्व जिला कलक्टर रहे ताराचंद मीणा को अपना प्रत्याशी बनाया। रावत ने पार्टी का भरोसा कायम रखते हुए अपने निकटत प्रतिद्वंद्वी मीणा को 2 लाख 61 हजार 608 मतों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की। पिछले चुनाव में भाजपा के अर्जुन लाल मीणा यहां से सांसद थे।
पाली सीट का नतीजा
पाली लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है। यहां से पार्टी ने पी पी चौधरी पर फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें एक बार फिर टिकट दिया, तो कांग्रेस ने संगीता बेनीवाल को चौधरी के खिलाफ खड़ा किया। पी पी चौधरी ने संगीत बेनीवाल को 2 लाख 45 हजार 351 मतों के बड़े अंतर से हराया।
कोटा सीट
भाजपा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक बार फिर कोटा से अपना उम्मीदवार बनाया। उन्होंने पार्टी को निराश नहीं किया। उनके सामने भाजपा से बगावत कर कांग्रेस का दामन थामने वाले प्रहलाद गुंजल थे। बिरला ने अपना दबदबा कायम रखते हुए गुंजल पर 41 हजार 974 मतों से जीत दर्ज की।
जयपुर ग्रामीण सीट
इस हाई प्रोफाइल सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। भाजपा ने यहां से राव राजेंद्र सिंह को टिकट दिया था, तो कांग्रेस ने अनिल चोपड़ा को अपना प्रत्याशी बनाया था। राव राजेंद्र सिंह महज 1615 मतों के अंतर से ही कांग्रेस उम्मीदवार को हरा पाए।
चित्तौडग़ढ़ सीट
यहां से भाजपा ने राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी को टिकट दिया था। उनके सामने उदयलाल आंजना कांग्रेस उम्मीदवार थे। जोशी ने एक तरफा मुकाबले में आंजना को 3 लाख 89 हजार 877 के बड़े अंतर से हराया।
करौली-धौलपुर सीट
इस सीट से कांग्रेस ने जहां भजनलाल जाटव पर, तो भाजपा ने इंदु देवी जाटव पर भरोसा जताया। भजनलाल कांग्रेस के भरोसे पर खरे उतरे और उन्होंने अपनी निकटत प्रतिद्वंद्वी इंदु को 98 हजार 945 मतों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की।
श्रीगंगानगर सीट
यह सीट भी कांग्रेस के खाते में गई। यहां से भाजपा ने प्रियंका बालान को प्रत्याशी बनाया, तो कांग्रेस ने कुलदीप इंदौरा को टिकट दिया। इंदौरा ने अपनी निकटतम प्रत्याशी को 88 हजार 153 मतों के अंतर से हराया। कांग्रेस प्रत्याशी को 7 लाख 26 हजार 492, तो बालान को महज 6 लाख 38 हजार 339 मत मिले।
चूरू लोकसभा सीट
पिछले चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में थी। उस वक्त राहुल कस्वां ने भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन, 2024 के चुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काटकर देवेंद्र झाझडिय़ा को अपना प्रत्याशी बनाया। इससे नाराज होकर कस्वां ने पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया और मुख्य विपक्षी पार्टी ने हाथों हाथ उन्हें चूरू से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। कस्वां कांग्रेस के भरोसे पर कायम उतरे और उन्होंने झाझडिय़ा को 72 हजार 737 मतों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की।
दौसा सीट
यह सीट भी प्रदेश की हॉट सीटों में से एक थी। इस सीट से कांग्रेस ने जहां मुरारी लाल मीणा को उम्मीदवार बनाया था, तो भाजपा ने कन्हैयालाल मीणा पर भरोसा जताया। इस सीट पर राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा काफी सक्रिय थे। इसके बावजूद कांग्रेस यह सीट जीतने में कामयाब रही। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने भी इस सीट के लिए काफी मेहनत की थी। उनकी सक्रियता के चलते ही कांग्रेस यह सीट भाजपा से छीनने में कामयाब रही। पिछले चुनाव में जसकौर मीणा भाजपा की टिकट पर सांसद चुनी गई थी।
भरतपुर सीट
यह सीट भी प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट में शुमार थी। भरतपुर प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का $गृह जिला है और सबको उम्मीद थी कि पार्टी यह सीट आसानी से जीत जाएगी। लेकिन मतदाताओं ने कांग्रेस की संजना जाटव को जिताकर भाजपा को तगड़ा झटका दिया। भाजपा ने यहां से रामस्वरूप कोली को टिकट दिया था। 2019 में रंजीता कोली ने भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज की थी।
टोंक-सवाईमाधोपुर सीट
पिछले चुनाव में जीत दर्ज करने वाले सुखवीर सिंह जौनपुरिया में भाजपा ने फिर से दांव खेला, तो कांग्रेस ने उनियारा से विधायक हरीशचंद्र मीणा को मैदान में उतारा। कांग्रेस का यह दांव सही साबित हुआ और पार्टी यह सीट भाजपा से छीनने में कामयाब रही। 2019 के चुनाव में जौनपुरिया यहां से सांसद चुने गए थे, लेकिन 2024 में वह सीट बरकरार नहीं रख पा ए।
बाड़मेर सीट
राजस्थान की यह सीट देश की सबसे हॉट सीटों में से एक थी। यहां से रविंद्र सिंह भाटी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे जिसके चलते वह काफी सुर्खियों में रहे और यही वजह थी की यह सीट भी हॉट सीट बन गई। माना जा रहा था कि भाटी यहां से आसानी से यह सीट जीत जाएंगे, लेकिन कांग्रेस ने सभी को चौंकाते हुए इस सीट पर शानदार जीत दर्ज की। कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल ने कड़ी टक्कर में रविंद्र सिंह भाटी को हराकर संसद पहुंच गए।
झुंझुनूं सीट
यह सीट भी काफी चर्चा में रही। देश को सर्वाधिक सैनिक देने वाली इस सीट से कांग्रेस के बृजेंद्र ओला ने जीत दर्ज की है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के शुभकरण चौधरी को करीब 19 हजार मतों से हराकर जीत दर्ज की।
सीकर सीट
सीकर सीट कांग्रेस ने गठंबंधन के तहत सीपीआइएम के लिए छोड़ी थी। सीपीएम ने अमराराम को टिकट दिया था, जबकि भाजपा ने पिछली बार यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे स्वामी सुमेधानंद पर फिर से भरोसा जताया, लेकिन सत्ताधारी पार्टी का यह दांव उलटा पड़ गया और अमराराम ने जीत दर्ज कर भाजपा से यह सीट छीन ली।
नागौर सीट
प्रदेश की हॉट सीट में शुमार नागौर में भी बेहद रोचक मुकाबला देखने को मिला। भाजपा ने जहां कांग्रेस छोड़कर उसका दामन थामने वाली ज्योति मिर्धा को टिकट दिया, तो कांग्रेस ने यह सीट गठबंधन के तहत रालोपा के हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ दी। बेनीवाल एक बार फिर ज्योति मिर्धा को पटखनी देते हुए यहां से जीत दर्ज की।
बांसवाड़ा सीट
यह सीट भी हाई प्रोफाइल सीटों में से एक थी। भाजपा ने यहां से पिछली अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीय को टिकट दिया था, तो कांग्रेस ने अरविंद सीता दामोर को टिकट दिया था। हालांकि, कांग्रेस ने ऐन वक्त भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) उम्मीदवार राजकुमार रोत को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। पार्टी ने अपने उम्मीदवार दामोर को चुनावी मैदान से हटने के लिए कहा, लेकिन दामोर ने हाई कमान का कहा मानने से इनकार कर दिया और चुनावी मैदान में डटे रहे। इसके बावजूद बीएपी के उम्मीदवार रोत अपने निकटतम प्रतिद्वद्वी मालवीय से 2 लाख 47 हजार 54 मतों से जीतने में कामयाब रहे। उल्लेखनीय है कि मालवीय ने लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था।

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