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जयपुर

प्रबोधन कार्यक्रम में विपक्ष के ज्यादातर विधायक नदारद, उपराष्ट्रपति धनखड़ बोले – विकास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देख सकते

Vice President Jagdeep Dhankhar said : राजस्थान विधानसभा में आज हुए प्रबोधन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहले कार्यक्रम का उद्घाटन किया। फिर 73 नए निर्वाचित विधायक को गुरु की तरह सीख दी।

जयपुरJan 16, 2024 / 12:58 pm

Sanjay Kumar Srivastava

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Jagdeep Dhankhar

राजस्थान विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों के लिए मंगलवार को प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजना किया गया। इस उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सबसे मुश्किल कब आती है, जब आप उन लोगों के सामने बोलते हो जो आपको अच्छी तरह जानते हैं, मुझे यहां बहुत कुछ सीखने को मिला है। विधानसभा में प्रबोधन कार्यक्रम में विपक्ष के ज्यादातर विधायक नदारद रहे। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा विपक्ष के सदस्यों की कमी खल रही है। विधायिका और कार्यपालिका के रिश्ते पर कहा विधायिका का संबंध कार्यपालिका से सौहार्द पूर्ण होना चाहिए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हम विकास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देख सकते हैं। आजादी के बाद से ही भारत ने प्रगति की है।
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राजस्थान का सीएम होना बहुत बड़ी बात

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से बहुत बड़ा है। वहां का सीएम होना बहुत बड़ी बात है और यह पद उन्हें जिस तरह से मिला है उसे साबित हो गया है कि अब सब कुछ मुमकिन है। सीएम को कहा कि कम समय में मिली थोड़ी लोकप्रियता को आगे बढ़ना और बचाना आपकी जिम्मेदारी मुझे उम्मीद है आप इस पर खड़ा उतरेंगे।

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जब कुर्सी पर बैठे तो सबसे पहले बाई तरफ देखो

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उपराष्ट्रपति की वजह से मैं राज्यसभा का स्पीकर हूं। राजस्थान का परम सौभाग्य है की ओम बिरला भी वहां हैं। हम दोनों में विचार मंथन होता रहता है। बिरला जी ने कहा कि जब कुर्सी पर बैठे तो सबसे पहले बाई तरफ देखो। उन्होंने कहा कि दिल बांयी तरफ होता है और मैं सदैव उसका पालन किया है।

पक्ष हो या विपक्ष हो प्रतिभा की कोई कमी नहीं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा पक्ष हो या विपक्ष हो प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। सदन एक परिवार की तरह चलेगा। सत्ता पक्ष को हमेशा यह ध्यान रखना पड़ेगा। सामने वाला विरोधी नहीं है। सामने वाले जो बात कहता है वह जनहित की है। ऐसा संकेत मुझे सीएम के भाषण में मिला है।

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विपक्ष के ज्यादातर विधायक नदारद रहे

विधानसभा में प्रबोधन कार्यक्रम में विपक्ष के ज्यादातर विधायक नदारद रहे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा विपक्ष के सदस्यों की कमी खल रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई। सदन में जो हम कार्यवाही करते हैं उसका असर प्रांत और प्रांत के बाहर दोनों जगह पड़ता है। संविधान सभा के लोगों ने जो विवेकपूर्ण तरीके से काम किया वह आदर्श होना चाहिए। सदन को चलाना और राज्य को दिशा देना पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। प्रतिपक्ष जो सुझाव दे उसे पर ज्यादा गंभीरता से काम होना चाहिए। जिनका आचरण अच्छा होना चाहिए उनका आचरण कई बार जनता की नजर में अच्छा नहीं है। व्यवधान करने का प्रभाव नहीं होता है केवल मीडिया की सुर्खी हो सकती है।

भारत की सबसे बड़ी ताकत हमारी डेमोक्रेसी है

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा भारत की सबसे बड़ी ताकत हमारी डेमोक्रेसी है। हमारी डेमोक्रेसी सबसे पुरानी है। जो देश अपने को विकसित मानता है वहां भी सत्ता परिवर्तन आसानी से नहीं हो पता है।

विकास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देख सकते हम

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हम विकास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देख सकते हैं। आजादी के बाद से ही भारत ने प्रगति की है। कुछ कालखंड में प्रगति कम रही कुछ कालखंड में ज्यादा रही है। सदन का मुख्य काम है विधायी निर्माण में योगदान देना। सांसद ने अंग्रेजों के कानूनों को खत्म किया है।

आसन पर संदेह करना ठीक नहीं

तीन क्रिमिनल कानून को पास करने के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले राज्यसभा में सबसे बड़े एडवोकेट है सांसद लेकिन एक दिन भी चर्चा में शामिल नहीं हुए। राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि सदस्य अपनी प्रतिभा को जब ही दिखा पाएंगे जब अनेक विषय पर आप उनको पूरी बात कहने का मौका दें। आसन पर संदेह करना ठीक नहीं है। आसन पर बैठने वाला व्यक्ति दोनों तरफ देखता है।

संविधान में हर बात का मिलेगा संविधान में आपको हर बात का जवाब मिलेगा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, आज का भारत स्पीड पकड़ चुका है। चांद के उसे भाग पर चंद्रयान-3 पहुंचा है जहां आज तक कोई नहीं पहुंच पाया। भ्रमित लोगों की विचारधारा को ठीक करना इस विधानसभा का सबसे बड़ा दायित्व है। संविधान में आपको हर बात का जवाब मिलेगा।

विधायिका का संबंध कार्यपालिका से सौहार्द पूर्ण होना चाहिए

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, जनप्रतिनिधि और अधिकारी के सामंजस्य से प्रगति का रास्ता प्रशस्त होगा। कहीं कोई मनमुटाव हो तो बातचीत का रास्ता पहले होना चाहिए। विधायिका का संबंध कार्यपालिका से सौहार्द पूर्ण होना चाहिए।

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