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जयपुर

ये कैसी सरकार: 28 साल में कर्ज का ग्राफ 6 हजार करोड़ से पहुंचा 3 लाख करोड़

इन दिनों कर्ज लेने का फैशन चल रहा है। देश की कई बड़ी हस्तियों के सिर पर करोड़ों का कर्ज है।

जयपुरFeb 19, 2018 / 08:19 am

Kamlesh Sharma

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शैलेन्द्र अग्रवाल/जयपुर। इन दिनों कर्ज लेने का फैशन चल रहा है। देश की कई बड़ी हस्तियों के सिर पर करोड़ों का कर्ज है। शायद हमारी राज्य सरकार भी इसी फैशन में रंग गई है और वित्तीय प्रबंधन के कायदों को ताक पर रख दिया है। 28 साल में कर्ज का भार 50 गुणा हो गया और चार साल में करीब पौने दो लाख करोड़ का कर्जा बढ़ गया है। इस साल 21 हजार करोड़ तो ब्याज चुकाना पड़ेगा। अर्थशास्त्रियों की मानें तो हालात सरकार को डूबो देंगे।
राज्य सरकार के 28 साल के बजट दस्तावेजों का अध्ययन किया तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। वित्तीय हालात ये हैं कि 28 साल पहले राज्य पर 6127 करोड़ रुपए का कर्जा था और आज यह तीन लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है।
बजट घोषणाएं जुमलों जैसी…
सरकार कर्ज लेकर योजनाओं का आकार बढ़ाने का दंभ भर रही है और बजट घोषणाएं कई बार तो जुमलों जैसी नजर आती हैं। पिछली सरकार ने मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना की घोषणा की और अब भामाशाह योजना लॉन्च हो चुकी है, पर अस्पतालों में चिकित्सकों और सुपर स्पेशियलिटी की कमी है। शिक्षा की बात करें तो एम्स , आईआईएम और आईआईटी जैसे संस्थान आ गए, लेकिन राज्य ने इनके मुकाबले का कोई उच्च शिक्षण संस्थान खड़ा नहीं किया।
1999 से अब तक वित्त मंत्रियों ने भी माना…
नौ साल में ब्याज भुगतान हुआ 5 गुणा: 1990 में जब शासन छोड़ा उस समय राज्य पर 6127 करोड़ रुपए कर्ज था, जो 31 मार्च 1999 को बढक़र 23 हजार 532 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
बढ़ते ऋण का के कारण 1989-90 में जहां ब्याज 437 करोड़ रुपए देना पड़ रहा था, वह 1 998-99 की समाप्ति पर 2 हजार 243 करोड़ 43 लाख रुपए होने का अनुमान है। नौ साल में ब्याज का भुगतान 5 गुणा बढ़ गया है और राज्य के अपने कर राजस्व का लगभग आधा भाग केवल ब्याज के भुगतान पर ही व्यय हो रहा है।’
यहां भी जताई थी शंका : योजना में बढ़ोतरी नहीं की जाती और संसाधन नहीं जुटाए जाते तो दसवीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य कठिन था। बजट घाटा 2004-05 के लिए 334 करोड़ 39 लाख रुपए रहा।
बोझा राज्य पर बढ़ाया गया :
वर्ष 1999-2000 से वर्ष 2003-04 तक राज्य ने 29191 करोड़ कर्जा लिया, जबकि 2004-05 से 2008-09 तक संसाधनों की समुचित उपलब्धता के बावजूद 30943 करोड़ के ऋण का बोझ बढ़ाया गया।
अफसोस है कि इतना कर्ज…
5 साल में कुप्रबंधन ने वित्तीय स्थिति खस्ता हाल कर दी। मार्च 2008 के अंत में कर्ज का भार 77 हजार 138 करोड़ था, जो मार्च 2014 में 53 हजार 502 करोड़ से 1 लाख 30 हजार 640 करोड़ संभावित है। अफसोस है इतना कर्ज लेकर भी उत्पादक खर्चों में नहीं लगाया।
चार साल पहले भी चिंता…
चार साल पहले बजट के समय राज्य सरकार ने बढ़ते कर्ज पर चिंता जताई। उस समय सरकार ने 1 लाख 30 हजार 640 करोड़ रुपए कर्ज होने का अनुमान बताया था और अब इसके 3 लाख 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है। सरकार की मानें तो राज्य को 1989-90 में 437 करोड़ रुपए ब्याज देना पड़ रहा था और 2018-19 में 21 हजार 412 करोड़ रुपए ब्याज चुकाना पडेगा। ब्याज की यह राशि बिजली जैसे विकास कार्यों के लिए रखे गए बजट के समान है। सरकार ने जो हालात सामने आए हैं, उससे अर्थशास्त्री चिंतित हैं।

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