कोर्ट ने पुलिस से अनुसंधान रिपोर्ट पेश करने को कहा, वहीं याचिकाकर्ताओं को 30-31 मई को जांच अधिकारी के समक्ष पूछताछ के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया। अब 19 जुलाई को सुनवाई होगी।
न्यायाधीश सुदेश बंसल ने रामस्वरूप व सरोज की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया है। प्रार्थी पक्ष के अधिवक्ता सियाराम शर्मा ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता रामस्वरूप सरकारी कर्मचारी है और उसकी पत्नी मोटर व्हीकल सब इंस्पेक्टर भर्ती में चयनित हो चुकी है।
इसलिए किया था बोर्ड सचिव को फोन
अधिवक्ता शर्मा ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता ने पत्नी के फोन से बोर्ड सचिव को फोन करके कहा था कि चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के लिए पहले हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया था, उसे अब वापस क्यों लिया जा रहा है?
‘सीएम पीए बनकर नहीं धमकाया’
प्रार्थी पक्ष ने कहा कि बातचीत के दौरान बहस अवश्य हुई, लेकिन सीएम का पीए बनकर बोर्ड सचिव को धमकाया नहीं। यदि याचिकाकर्ता को ऐसा करना होता, तो वो पत्नी का मोबाइल इस्तेमाल ही क्यों करता? यही नहीं, बोर्ड अध्यक्ष ने 19 अप्रेल की घटना बताते हुए सोशल मीडिया पर 24 अप्रेल को जानकारी साझा की और एफआईआर 7 मई को दर्ज करवाई गई।
‘पब्लिसिटी बटोरना चाहते हैं बोर्ड अध्यक्ष’
प्रार्थी पक्ष ने आरोप लगाया कि बोर्ड अध्यक्ष मामले को हाई प्रोफाइल बनाकर पब्लिसिटी बटोरना चाहते हैं। याचिकाकर्ता जांच में सहयोग को तैयार हैं, लेकिन पुलिस बेवजह परेशान कर रही है। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आंशिक राहत दी।