गहलोत समर्थक विधायकों की मांग थी कि जिन लोगों यानि पायलट गुट ने सरकार को गिराने की कोशिश की उनकी बात नहीं सुनी जानी चाहिए। इससे पूर्व शाम को कांग्रेस के 92 विधायकों ने बजाय विधायक दल की बैठक में जाने के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के घर पहुंचे । जहां बैठक करने के बाद इस्तीफे लिख कर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप दिए, जबकि पर्यवेक्षक के तौर पर जयपुर पहुंचे कांग्रेस महासचिव अजय माकन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, विधायकों की राह ताकते रहे।
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विधायक दल की बैठक रविवार शाम सात बजे शुरू होनी थी। जब गहलोत समर्थक विधायक सीएमआर नहीं पहुंचे तो बैठक का समय बढ़ा कर साढ़े सात बजे कर दिया गया। इसके बाद, एक बार फिर समय आधा घंटा बढ़ाए जाने की सूचना मिली। जबकि पायलट अपने समर्थकों के साथ सीएमआर में मौजूद थे। यही पर दोनों केन्द्रीय पर्यवेक्षक भी विधायकों का इंतजार कर रहे थे। रात दस बजे गहलोत समर्थक विधायक बस में भरकर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे। यहां प्रत्येक विधायक ने एक टाइप किए हुए परिपत्र में अपना इस्तीफा सौंपा।
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जोशी ने नियमानुसार कार्रवाई करने का भरोसा दि लाया। विधायकों ने यही पर रात का भोजन लिया। बाद में शांति धारीवाल, खाचरियावास, महेश जोशी और संयम लोढ़ा पर्यवेक्षकों से विधायकों का पक्ष रखने के लिए सीएमआर चले गए। इसी बीच दिल्ली से यह भी संदेश आया बताया कि पर्यवेक्षक प्रत्येक विधायक से अलग-अलग बातचीत करे। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा, पर्यवेक्षकों का संदेश लेकर रात बारह बजे, सीपी जोशी के घर बैठे इन विधायकों के पास पहुंचे। जहां उन्होंने नए सीएम के चयन का निर्णय आलाकमान पर छोड़ने से इनकार कर दिया। साथ ही कहा कि अब मुख्यमंत्री का फैसला गहलोत के अध्यक्ष बनने के बाद ही होगा। इतना ही नहीं गहलोत चाहेंगे वही सीएम बनेगा।