दोबारा चालू हो कंपनी, सरकार दे अनुमति
डॉ मीणा ने कहा है कि राजस्थान ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड में कोरोना और अन्य खतरनाक बीमारियों की दवा “ओसल्टामीवीर” बनाई जाती थी, लेकिन ये कंपनी अभी बंद है। इससे पहले इसी कंपनी में स्वाइन फ्लू की भी दवा भी बनाई गई थी। ऐसे में कंपनी को दोबारा चालू करने की अनुमति प्रदान की जाए।
राज्य सभा सांसद ने कहा कि अगर यह कंपनी शुरू की जाती है तो यहाँ इस वायरस की दवाई बनाई जा सकेगी और राज्य के साथ ही देश में सभी इन दवाओं को पहुंचाया जा सकेगा। गौरतलब है कि कोरोना के गम्भीर मरीजों को चिकित्सकों द्वारा ओसल्टामीवीर दवा ही दी जा रही है।
मोदी कैबिनेट ने लिया था फैसला
निशुल्क दवा योजना में अहम भूमिका निभाने वाली आरडीपीएल (राजस्थान ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड) को बंद करने का फैसला पिछले साल हुई मोदी कैबिनेट ने लिया था। तब केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की दो दवा कंपनियों इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (आईडीपीएल) और राजस्थान ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (आरडीपीएल) को बंद करने का फैसला किया था।300 करोड़ रुपए से अधिक की सरकारी दवा कंपनी बंद होने के चलते कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के आदेश जारी किए गए थे।
राठौड़ भी कर चुके हैं अपील
भाजपा के वरिष्ठ नेता व उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी प्रदेश में ओसल्टामीवीर दवा निर्माण के सिलसिले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपील कर चुके हैं चुके हैं। उन्होंने पिछले दिनों मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कोरोना के इलाज के उपयोग में ली जा रही ओसल्टामीवीर के निर्माण की सम्पूर्ण श्रेणी की मशीनरी, उपकरण, संसाधन सहित दवा नमूनों की उच्चस्तरीय जांच प्रयोगशाला जैसी बंद पड़ी सुविधाओं को पुनः चालू करने का आग्रह किया था किया था।
‘पत्रिका’ भी उठा चुका है मुद्दा
जयपुर के वीकेआइ में 9.35 एकड़ में बनी राज्य की एक मात्र सरकारी दवा कंपनी राजस्थान ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड (आरडीपीएल) को बिना कारण बंद किये जाने का मामला ‘पत्रिका’ भी उठा चुका है। इस कंपनी के बंद होने से नि:शुल्क दवा योजना सहित अन्य योजनाओं के लिए सालाना करोड़ों की दवाएं निजी फार्मों से खरीदने की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित और प्रसारित किया गया। बताया गया था कि सरकार किस तरह से 300 करोड़ की सरकारी दवा कंपनी होने के बावजूद निजी कंपनियों से सालाना करीब 500 करोड़ की दवा खरीद रही है।
बन सकती है 100 करोड़ की दवा !
सूत्रों की माने तो इस कंपनी को फिर से शुरू कर इसका पूरी क्षमता से उपयोग किया जाए तो सरकार करीब 100 करोड़ की सालाना दवा यहां बनाई जा सकती है। फिलहाल इस सरकारी दवा कंपनी में करोड़ों रुपए की मशीनरी धूल फांक रही हैं। 2016 में इसके कुछ हिस्से में आग लगी थी मगर उसके बाद पूरी कंपनी बंद हो गई। सम्भावना जताई जा रही है कि इस कंपनी को महज 15 से 25 लाख के खर्च में फिर से शुरू किया जा सकता है।