इससे पूर्व मंगलवार सुबह चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा (
Health Minister Raghu Sharma ) के निवास पर जार्ड के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया गया, लेकिन मांगों पर बात नहीं बनी। इसके बाद दोपहर में रेजिडेंट डॉक्टरों की चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया के साथ फिर से वार्ता हुई। करीब एक घंटे चली वार्ता में भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला। जार्ड के अध्यक्ष अजीत बागड़ा और रामचंद जांगू ने बताया कि वार्ता में सरकार ने पहले की तरह मौखिक आश्वासन ही दिया है, लिखित में कुछ नहीं मिला है। डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर छह महीने में अस्पाल में केंद्रीयकृत सुरक्षा व्यवस्था लागू करने का आश्वासन मिला है। फीस बढ़ोतरी की मांग पर भी रिव्यू का आश्वासन मिला है। साथ ही एक महीने में अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था कर दी जाएगी।
उधर जार्ड पदाधिकारियों का कहना है कि अक्टूबर से लेकर अब तक सरकार सिर्फ आश्वासन ही दे रही है। बार-बार अपनी मांगों के लिए रिमाइंडर भी करवाया, लेकिन सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। 16 नवंबर को चिकित्सा मंत्री के साथ हुई वार्ता में सिर्फ एक मांग पर सहमति बनी थी। बाकि मांगों के समाधान के लिए 15 दिन का समय मांगा था। अब फिर से वही स्थिति आ गई है।
पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक मांगें नहीं मानी जाएगी, तब तक रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। हड़ताल के चलते एसएमएस अस्पताल सहित प्रदेश के अस्पतालों के ओपीडी से लेकर आइपीडी तक चिकित्सा व्यवस्थाएं बेपटरी हो गई। एसएमएस अस्पताल (
SMS Hospital ), जयपुरिया (
Jaipuria Hospital ), गणगौरी अस्पताल में मरीज भटकते और परेशान होते नजर आए।