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एससी-एसटी उद्यमियों को मिलेगा विशेष पैकेज का लाभ

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में उद्योगों की सुगम स्थापना और निवेश को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (रिप्स)-2019 और रिप्स-2014 में जरूरी संशोधन को मंजूरी दी है। इसके बाद वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं।

जयपुरApr 06, 2021 / 09:10 pm

Ashish

जयपुर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में उद्योगों की सुगम स्थापना और निवेश को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (रिप्स)-2019 और रिप्स-2014 में जरूरी संशोधन को मंजूरी दी है। इसके बाद वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। इस मंजूरी से निवेशकों को उद्यम स्थापना के लिए विभिन्न पैकेज का लाभ मिल सकेगा। राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2019 में “डॉ. बी. आर. अम्बेडकर एससी-एसटी उद्यमी प्रोत्साहन विशेष पैकेज” के तहत अब निवेश सीमा 50 प्रतिशत तक घटाई गई है। जैम्स एण्ड ज्वैलरी सेवा क्षेत्र को जोड़ा गया है। अधिकतम अनुदान को एलिजिबल फिक्सड केपिटल इंवेस्टमंेट के 150 प्रतिशत से बढ़ाकर 200 प्रतिशत किया गया है।
साथ ही 5 वर्ष तक प्रतिवर्ष 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान (अधिकतम 25 लाख रूपए) अथवा 15 प्रतिशत केपिटल सब्सिडी (अधिकतम 2 करोड़ रूपए) दी जाएगी। एससी-एसटी उद्यमियों के लिए विशेष इंक्यूबेशन संेटर चलाए जाएंगे। इस पैकेज का लाभ लेने के लिए एससी-एसटी उद्यमियों का प्रोपराइटरशिप फर्म में शत-प्रतिशत और पार्टनरशिप फर्म एवं प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी में न्यूनतम 51 प्रतिशत पूंजी निवेश होना जरूरी होगा। रिप्स-2014 की कार्य अवधि 2 साल बढ़ाकर अब 31 मार्च 2023 तक कर दी गई है।


इकाइयों को 90 प्रतिशत रोजगार अनुदान
रिप्स-2019 में रिसोर्ट्स एवं एम्यूज़मेंट पार्क के लिए न्यूनतम भूमि की शर्त क्रमशः 5 एकड़ एवं 10 एकड़ से घटाकर रिसोर्ट्स के लिए 2 एकड़ एवं एम्यूज़मेंट पार्क के लिए 2.5 एकड़ की जाएगी। सोलर एवं विंड एनर्जी की उपकरण निर्माण इकाइयों को रोजगार अनुदान 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया गया है।

निवेश सीमा घटाकर 25 करोड़ रूपए
राज्य में ई-व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए ई-चार्जिंग एवं स्वेपिंग स्टेशंस को रिप्स-2019 के सर्विस सेक्टर एवं थ्रस्ट सेक्टर में जोड़ा गया है, जिससे इन्हें ब्याज अनुदान/केपिटल सब्सिडी के अतिरिक्त लाभ मिल सकेंगे। ई-व्हीकल्स के उत्पादन के लिए निवेश सीमा 50 करोड़ रूपए से घटाकर 25 करोड़ रूपए की जाएगी। खेल सामग्री, इलेक्ट्रोनिक एवं अन्य खिलौनों का विदेश से आयात करने के बजाय राज्य में ही बनाने के लिए इन क्षेत्रों को भी ब्याज अनुदान/ केपिटल सब्सिडी के अतिरिक्त लाभ देने हेतु थ्रस्ट सेक्टर में शामिल किया गया है। प्लग एण्ड प्ले ऑफिस कॉम्पलेक्स में निवेश बढ़ाने के लिए निवेश की सीमा 10 करोड़ से घटाकर 5 करोड़ की गई है। साथ ही एमएसएमई की सर्विस सेक्टर की इकाइयांे को अब जिला स्तर पर ही आवेदन करने की सुविधा का प्रावधान किया गया है।

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