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इनका कहना है,
आर्ट एंड क्राफ्ट हो या फिर फिजिकल एजुकेशन, हर विषय की अपनी महत्ता है। हिंदी, अंग्रेजी या अन्य विषयों के समान कई अन्य विषय भी ऐसे हैं जो बच्चों के ओवरऑल डवलपमेंट के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इनसे बच्चे टीम वर्क करना सीखते हैं साथ ही शेयरिंग की भावना विकसित होती है। उसके चरित्र का विकास होता है। अगर हम केवल उनके मुख्य विषयों पर ही फोकस करते रहेंगे तो कहीं कही ना हम उनके विकास में बाधा पैदा कर रहे है।
डॉ. अखिलेश जैन, मनोरोग विभागाध्यक्ष
ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल।
……………………… मेरे दो बच्चे हैं दोनों स्कूल में हैं। एक समय था स्कूल में फिजिकल एजुकेशन पर फोकस होता था। मैं जब स्कूल में थी तो एसयूपीडब्ल्यू कैम्प लगाए जाते हैं लेकिन अब स्कूलों में धीरे धीरे यह सब कम हो रहा है। स्कूलों का पूरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर हो गया है जो सही नहीं हैं। मुझे लगता है कि इससे बच्चों की ग्रोथ अच्छे से नहीं होगी। जरूरत है कि गेम्स, आर्ट क्राफ्ट, हेल्थ रिलेटेड इश्यू पर भी फोकस किया जाए।
प्रीति चौरसियां, अभिभावक
…………….. कक्षाओं में मुख्य विषय तो छह होते हैं, लेकिन इनके अलावा भी कई विषय हैं, समय समय पर इनकी कक्षाएं भी लगाई जाती हैं।
धर्मवीर रुलानियां, संस्था प्रधान
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गोपालपुरा देवरी।
…………………….. विभाग ने स्कूलों में आठ कालांश निर्धारित किए हैं। जिसमें सभी विषयों की पढ़ाई करवाई जानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो रहा, कालांश कम लिए जा रहे हैं तो हम इसकी जांच करवाएंगे।
जेपी मीणा, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक मुख्यालय,जयपुर।