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कार्यवाहक सीएम गहलोत को झटका, गजेंद्र सिंह शेखावत वाले मानहानी केस में चलेगा मुकदमा

Ashok Gehlot Gajendra Singh Shekhawat Defamation Case : दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को राजस्थान के कार्यवाहक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तगड़ा झटका देते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में समन आदेश को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।

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Ashok Gehlot Gajendra Singh Shekhawat Defamation Case

Ashok Gehlot Gajendra Singh Shekhawat Defamation Case

Ashok Gehlot Gajendra Singh Shekhawat Defamation Case : दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को राजस्थान के कार्यवाहक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तगड़ा झटका देते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में समन आदेश को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी। इस मामले में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा गहलोत को समन भेजे जाने के बाद उन्होंने विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल की अदालत में आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।

शेखावत ने संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के संबंध में कथित तौर पर उनके खिलाफ अपमानजनक बयान देने के लिए गहलोत के खिलाफ मानहानि का मामला दायर कि या था। सहकारी समिति के करीब 2.14 लाख निवेशकों के साथ कथित तौर पर धोखाधड़ी हुई थी। समिति के निदेशक/पदाधिकारी निवेशकों के करीब 900 करोड़ रुपए लेकर हो गए थे। जुलाई में, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने गहलोत को 7 अगस्त को अदालत में पेश होने के लिए कहा था।

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अदालत ने कहा, "रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों से, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के खिलाफ विशिष्ट मानहानिकारक बयान दिए हैं।" एसीएमएम जसपाल ने गहलोत को तलब करते हुए कहा था, "इसके अलावा, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी के उपरोक्त मानहानिकारक बयान अखबार/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया/सोशल मीडिया में पर्याप्त रूप से प्रकाशित किए गए हैं, जिससे समाज के सही सोच वाले सदस्य शिकायतकर्ता से दूर हो सकते हैं।"

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मार्च में कोर्ट ने पुलिस को शेखावत की मानहानि शिकायत की जांच करने का आदेश दिया था। एक संयुक्त आयुक्त रैंक के अधिकारी को जांच की निगरानी करने और जवाब देने के लिए कहा गया था कि क्या शेखावत को "आरोपी" के रूप में संबोधित किया गया था; क्या शिकायतकर्ता ने कहा था कि आरोपी के खिलाफ आरोप "साबित" हैं; और "क्या शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों को जांच में आरोपी के रूप में शामिल किया गया था"। अदालत के अनुसार, पहले दो प्रश्नों का उत्तर सकारात्मक था, जबकि अंतिम प्रश्न का उत्तर नकारात्मक था।