इस दिन शिवजी और चंद्र देव की पूजा के साथ ही पितृ पूजन की परंपरा है। हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण और दान किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन किया गया तर्पण और दान सीधे पितरों तक पहुंचता है। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और उनकी प्रसन्नता से जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं।
मान्यता है कि अमावस्या के दिन दान पुण्य करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। सोमवती अमावस्या पर पावन नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। हालांकि इस बार कोरोना की वजह से किसी पवित्र नदी में स्नान कर पाना संभव नहीं होगा। ऐसे में घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल या नर्मदा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
इस बार अमावस्या की तिथि पर विवाद है। पंचांग भेद के अनुसार 11 अप्रैल और 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या बताई गई है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस बार 11 अप्रैल को सुबह 06:03 बजे से अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी और 12 अप्रैल 2021 सुबह 08:00 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार 12 अप्रैल को अमावस्या मनाया जाना श्रेष्ठ रहेगा।