
Sun In Sagittarius Dhanu Sankranti History Significance Importance
जयपुर. सूर्य का किसी राशि में प्रवेश सूर्य संक्रांति कहा जाता है। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे धनु संक्रांति कहते हैं। यह सूर्यदेव की पूजा—अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्ति का दिन होता है। इस बार पंचांग भेद के कारण धनु संक्रांति दो दिन मनाई जाएगी। कुछ पंचांगों में 15 दिसंबर को धनु संक्रांति का दिन दर्शाया गया है जबकि पंचांगों के मुताबिक सूर्य 16 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश करेगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार इस दिन तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान कर दान देने का महत्व है। इस दिन सूर्य उपासना जरूर करना चाहिए। धनु संक्रांति के दिन सूर्यपूजा त्वरित फलदायी मानी जाती है। इनके अलावा विष्णुजी और शिवजी की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन तर्पण करने का भी विधान है। इससे पितरों को शांति मिलती है और उनकी प्रसन्नता से जीवन के कष्ट कम होकर सुख प्राप्त होते हैं।
धनु संक्रांति पर्व हेमंत ऋतु का भी द्योतक है। इस दिन दान करने का बहुत महत्व है इसलिए ज़रुरतमंद लोगों को दान जरूर करना चाहिए। धनु संक्रांति पर खासतौर पर गौ दान की बात कही गई है। परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन गाय की सेवा करें और उन्हें रोटी या चारा खिलाएं। संभव हो तो उनके लिए चारा आदि के लिए दान करें। इस तरह दिन ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पंडित जीपी मिश्र के अनुसार इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। सूर्यदेव का ध्यान करते हुए पूजा और व्रत का संकल्प लें। सुबह सूर्यदेव की विधिवत पूजा करें। संभव हो तो आदित्य ह्दय स्त्रोत का तीन बार पाठ करें। दोपहर में पितरों का स्मरण कर उनकी शांति के लिए तर्पण करें। जरूरतमंद लोगों को दान करें और गाय को रोटी या चारा खिलाएं। इस दिन बिना नमक का भोजन करें।
Published on:
15 Dec 2020 09:16 am
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