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Padmavat Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दूसरे दिन राजपूत समाज को दिया झटका, जानें इस बार

Supreme Court Desicion on Film Padmavat: पद्मावत की रिलीज पर रोक लगाने संबंधी याचिका खारिज

जयपुरJan 19, 2018 / 03:23 pm

Nakul Devarshi

padmavat controversy
जयपुर/नई दिल्ली।

उच्चतम न्यायालय ने फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज़ को लेकर लगातार दूसरे दिन राजपूत समाज को झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने उस याचिका पर सुनवाई करने से साफ़ तौर पर इंकार कर दिया है जिसमें फिल्म को रिलीज के लिए केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा मिली मंजूरी को निरस्त करने की गुहार लगाई गई थी।
वकील एम एल शर्मा ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पद्मावत को रिलीज किए जाने से कई राज्यों में कानून एवं व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की आशंका है। ऐसे में न्यायालय को सीबीएफसी द्वारा फिल्म को रिलीज के लिये दी गई मंजूरी समाप्त कर देनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने इस पर कहा कि शीर्ष अदालत गुरुवार को ही इस मामले में अपना अंतरिम आदेश सुना चुकी है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि कानून व्यवस्था ठीक करना न्यायालय का काम नहीं, यह सरकार का काम है। इसके साथ ही उन्होंने शर्मा की याचिका खारिज कर दी।

… इधर करणी सेना की प्रसून जोशी को धमकी
राजपूत करणी सेना की ओर से एक और चेतावनी दी गई है। करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने ताज़ा प्रतिक्रिया में सेंसर बोर्ड चेयरमेन प्रसून जोशी को राजस्थान में नहीं घुसने देने की चेतावनी दी है। गोगामेड़ी ने कहा है कि फिल्म को किसी सूरत में प्रदर्शित नहीं होने दिया जाएगा। जो भी इस फिल्म का समर्थन करेगा उसे राजस्थान में दाखिल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने प्रसून जोशी का नाम लेते हुए ये चेतावनी दी है।
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समाज के साथ हुआ धोखा
गोगामेड़ी ने कहा कि फिल्म का नाम पद्मावती से पद्मावत करके रिलीज़ करने की इस कदम को राजपूत समाज नहीं मानेगा। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं ने समाज के प्रतिनिधियों को रिलीज़ से पहले फिल्म दिखाने का वादा किया था लेकिन ऐसा नहीं किया गया और समाज को धोके में रखा गया। फिल्म का ट्रेलर और घूमर गाने के वीडियो को जारी किया गया जो सही नहीं था।
प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील
करणी सेना अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से इस फिल्म पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री को इस गंभीर विषय में हस्तक्षेप करना चाहिए और इसपर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। फिल्म को सर्टिफिकेट देने वाली सेंसर बोर्ड केंद्र सरकार के दायरे में आती है लिहाज़ा उसे फिल्म बैन करने का कदम उठाना चाहिए।

वोट लेने के वक्त ध्यान आता है समाज
गोगामेड़ी ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा है कि राजनितिक दलों को वोट लेने के समय राजपूत समाज का ध्यान आता है। उन्होंने सवाल किये कि आखिर क्यों हिंदुत्व पर वोट मांगने वाली सरकार मौन है? केंद्र को जल्द इस सिलसिले में एक्शन लेना चाहिए।
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रानी पद्मावती हमारी मां, नहीं आने देंगें आंच
करणी सेना अध्यक्ष ने कहा है कि रानी पद्मावती हमारी मां है और हम उन पर आंच नहीं आने देंगें। ये फिल्म विवादित है और हमारी भावनाएं इससे आहात होती है। ये कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
…इधर चेतावनी, उधर फिर लगा झटका
करणी सेना की इस ताज़ा चेतावनी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर उसे करारा झटका दिया है। उच्चतम न्यायालय ने फिल्म ‘पद्मावत’ को रिलीज के लिए केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा मिली मंजूरी को निरस्त करने संबंधी याचिका की सुनवाई से इंकार कर दिया।
वकील एम एल शर्मा ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पद्मावत को रिलीज किए जाने से कई राज्यों में कानून एवं व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की आशंका है। ऐसे में न्यायालय को सीबीएफसी द्वारा फिल्म को रिलीज के लिए दी गई मंजूरी समाप्त कर देनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने इस पर कहा कि शीर्ष अदालत कल ही इस मामले में अपना अंतरिम आदेश सुना चुकी है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि कानून व्यवस्था ठीक करना न्यायालय का काम नहीं, यह सरकार का काम है। इसके साथ ही उन्होंने श्री शर्मा की याचिका खारिज कर दी।

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