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जयपुर

राजस्थान सरकार कर रही Swine Flu से निपटने के दावे, इधर अब एक सीनियर RAS ऑफिसर ने तोड़ा दम

Swine Flu से RAS अधिकारी की मौत, एक माह से चल रहा था उपचार

जयपुरOct 15, 2017 / 08:07 am

Nakul Devarshi

swine flu in rajasthan
जयपुर/ भरतपुर।

राजस्थान में स्वाइन फ़्लू से निपटने के तमाम सरकारी दावों के बीच इसका कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। जानलेवा हो रही ये बिमारी आम के साथ अब ख़ास को भी अपनी चपेट में ले रही है। ताज़ा मामले में स्वाइन फ़्लू का शिकार हुए एक आरएएस अफसर की मौत हो गई।

भरतपुर जिले के उच्चैन के रीछौली गांव निवासी एक आरएएस अधिकारी की शनिवार को स्वाइन फ्लू से दिल्ली में मौत हो गई। आरएएस बुधराम मीणा का बीते करीब एक सप्ताह से दिल्ली के एक अस्पताल में स्वाइन फ्लू का उपचार चल रहा था।

धौलपुर उपखण्ड अधिकारी मनीष फौजदार ने बताया कि आरएएस मीणा धौलपुर जिला परिषद में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत थे, जिनका हाल ही में बीकानेर में जिला रसद अधिकारी के पद पर स्थानांतरण हुआ था। जानकारी के अनुसार आरएएस मीणा ने बीमारी के चलते बीकानेर में पदभार ग्रहण नहीं किया था।
एक माह से थे बीमार
मिलकपुर निवासी विक्रम सिंह ने बताया कि आरएएस मीणा करीब एक माह से बीमार थे और उनका जयपुर के एक निजी अस्पताल में स्वाइन फ्लू का उपचार चल रहा था। गम्भीर हालत में आरएएस मीणा को करीब एक सप्ताह पहले दिल्ली रैफर कर दिया गया, जहां उपचार के दौरान शनिवार दोपहर 3:30 बजे उनका देहावसान हो गया। दिवंगत मीणा का शनिवार शाम 5:.३0 बजे उनके पैतृक गांव रीछौली(उच्चैन) में अंतिम संस्कार कर दिया गया।

स्वाइन फ्लू-डेंगू-चिकनगुनिया से डरे नहीं, यूं संभव है उपचार
इन दिनों स्वाइन फ्लू, डेंगू व चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ रहा है, लेकिन इन बीमारियों से घबराने की कतई आवश्यकता नहीं है। इन बीमारियों का हर तरह से इलाज संभव है। एक ओर जहां अंग्रेजी दवाइयां आपको तुरंत आराम पहुंचाती है, वहीं आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाएं जड़ समेत बीमारी को हटाने का माद्दा रखती है। इन तीनों पद्धतियों से मरीज ठीक भी होते हैं। बाकायदा पहले की तरह सामान्य जीवनयापन करते हैं। राजस्थान पत्रिका की ओर से तीनों बीमारियों के इलाज पर पेश हैं एक रिपोर्ट।
यह है अंग्रेजी इलाज

डेंगू में प्लेटलेट्स व खून का ध्यान रखते हैं। साथ ही सीबीसी जांच करवाते है। वहीं चिकनगुनिया में ध्यान रखते है कि ज्यादा दर्द निवारक गोलियां न दे। क्योंकि चिकनगुनिया में जोड़ संबंधी इलाज होता है। इसके अलावा टेमीफ्लू नामक दवा दी जाती है, जिसको ऑक्सीनटेमीवीर भी कहा जाता है। इसमें विशेषकर श्वास प्रक्रिया का ध्यान का रखा जाता है। बाजार में स्वाइन फ्लू का वैक्सीन मिल जाएगा, लेकिन डेंगू व चिकनगुनिया का वैक्सीन अभी चालू नहीं हुआ है। – डॉ. नवीन किशोरिया, आचार्य, मेडिसिन विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
आयुर्वेद का इलाज

आयुर्वेद में इन तीनों बीमारियों का इलाज हैं। डेंगू-चिकनगुनिया में त्रिभुवन कीर्तिरस की एक-एक गोली, महासुदर्शन घनवटी की 1-1 गोली, करंजादि वटी की एक-एक गोली, लौंग, तुलसी, काली मिर्च, अदरक, दालचीनी का काढ़ा, अनार, पपीते का रस, गिलोय के रस का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा स्वाइन फ्लू में लक्ष्मी विलास रस की दो-दो गोली, भोजिवादी काढ़ा, ज्वरहर काढ़ा व गिलोय का रस दिया जाता है। – डॉ. राधेश्याम शर्मा, कुलपति, आयुर्वेद विश्वविद्यालय
होम्योपैथी से इलाज

होम्योपैथी में स्वाइन फ्लू, डेंगू व चिकनगुनिया का इलाज रोगी की स्थिति देखकर किया जाता है। स्वाइन फ्लू में आसैनिक एल्ब- 2 सौ, एेलियम सीपा-30, यूपेटोरियम-पर्फ 200, रस टॉक्स-30, एेकोनाइट-30 व इन्फूजिनम 200 दी जाती है। डेंगू में यूपेटोरियम पर्फ-200, पाइरोजिनियम-30, रस-टॉक्स-30, बेलाडोना-30 व ब्रायना एल्ब-30 दी जाती है। चिकनगुनिया में काली म्यूर-1 एम, पाइट्रम म्यूर 200, लिडमपाल-30, रस टॉक्स व केरिका प्पाया दिया जाता है। — डॉ. रामसिंह सोलंकी, चिकित्सक, होम्योपैथी
डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षण:

तेज बुखार, नाक से पानी आना, छींके, सिर दर्द, सारे बदन में दर्द, जोड़ों में दर्द, प्लेटलेट्स की कमी व शरीर पर लाल दाने और चकते निकलना।
कारण व बचाव

डेंगू-चिकनगुनिया दोनों वायरस है। ये दोनों वायरस एडिज मच्छर की लारवा गं्रथियों में पाए जाते है। मच्छर जैसे ही स्वस्थ इंसान को काटता है, वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बचाव के लिए अच्छा खाना-पीना लें। मच्छरों से बचाव के लिए विभिन्न तरीके अपनाएं।
स्वाइन फ्लू के लक्ष्ण

इसमें बुखार आना, सिर दर्द, गला दुखना, उल्टी व दस्त होना, चेस्ट में दर्द, श्वास लेने में तकलीफ होना, बीपी गिर जाना और कफ में से खून आना जैसे लक्षण प्रमुख हैं।
कारण व बचाव

स्वाइन फ्लू का वायरस एच1 एन1 एक तरह का इंफ्लूएंजा वायरस है। इसमें रोगी खांसी-जुकाम के दौरान भीड़ भरे इलाके में नहीं रहे। सामान्य रोगी भी अत्यधिक खांसी-जुकाम वाले रोगियों के संपर्क में न रहे। साथ ही मास्क का उपयोग करें।

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