पहले मांडलगढ़ से विधायक कीर्ति कुमारी और अब नाथद्धारा से विधायक कल्याण सिंह के असामायिक निधन से विधायकों की यह शंका अब जुबान तक आ गई है। नागौर से आने वाले बीजेपी विधायक हबीबुर्रहमान ने तो सदन के सदस्यों की इस असामायिक मौत के लिए विधानसभा भवन स्थल को ही अपशगुनी करार दे दिया है। उन्होंने अपशगुनी होने का यह बीज किसी ओर के मन में नहीं बल्कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मे मन में डाला है। मुख्यमंत्री से विधायकों ने कहा कि जब से विधानसभा बनी है, तब से दो सौ विधायक एक साथ कभी पूरे पांच साल नहीं कर पाए हैं। इस तरफ ध्यान देना होगा। हबीबुर्रहमान ने सीएम को बताया कि जिस जगह विधानसभा भवन है वहां पहले श्मशाम और क्रबिस्तान हुआ करता था। इसके अलावा विधायक भवानी सिंह राजावत ने भी सीएम से मांग की कि इस स्थान की शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान कराया जाए।
हबीबुर्रहमान ने बताया कि विधानसभा निर्माण के समय भी वे विधायक थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. भैरों सिंह शेखावत को भी इस मामले में आगाह किया था। इस मामले में जब सरकारी मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विधायकों ने यह मांग उठाई है कि इस स्थान की सिद्धि के लिए धार्मिक अनुष्ठान करवाया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उनको कभी यहां किसी तरह की गड़बड़ या भूत-प्रेत का असर दिखा हो।
तीन दिन तक चले थे धार्मिक अनुष्ठान विधानसभा में काम करने वाले पुराने कर्मचारियों की माने तो जब इस विधानसभा का काम शुरू हुआ था, उस समय दो-तीन दिन तक लगातार धार्मिक अनुष्ठान चले थे। हां यह जरूर है कि जब विधानसभा में विधायकों का प्रवेश हुआ था, उस समय किसी प्रकार का कोई अनुष्ठान नहीं हुआ।
मध्यप्रदेश में भी हो चुका है एेसा
राजस्थान विधानसभा ही नहीं। इससे पहले मध्यप्रदेश के विधायकों ने भी अपने खुद के विधानसभा भवन के वास्तु पर सवाल खड़े कर दिए थे। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक केपी सिंह ने चौदहवीं विधानसभा में ९ विधायकों की मृत्यु को लेकर विधानसभा भवन में वास्तुदोष की आशंका जाहिर की थी। मध्यप्रदेश के कई मंत्रियों ने इस मांग का समर्थन किया था।
राजस्थान विधानसभा ही नहीं। इससे पहले मध्यप्रदेश के विधायकों ने भी अपने खुद के विधानसभा भवन के वास्तु पर सवाल खड़े कर दिए थे। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक केपी सिंह ने चौदहवीं विधानसभा में ९ विधायकों की मृत्यु को लेकर विधानसभा भवन में वास्तुदोष की आशंका जाहिर की थी। मध्यप्रदेश के कई मंत्रियों ने इस मांग का समर्थन किया था।