जैसलमेर. जैसलमेर के जिस पत्थर व्यवसाय से पांच हजार लोगों की रोजी-रोटी सीधे तौर पर जुड़ी है, वह संकट में है। केन्द्र सरकार की ओर से पिछली एक जुलाई से देश भर में लागू किए गए जीएसटी के कारण पहले से मंदी के साये में चल रहा जैसलमेर का पत्थर उद्योग तालाबंदी की तरफ बढ़ गया है। जैसलमेर के रीको औद्योगिक क्षेत्र में इन दिनों मशीनें खामोश हैं, श्रमिक बेकार बैठे हैं और व्यवसायियों के चेहरों पर गुस्से के भाव है। जीएसटी में मार्बल उद्योग पर कर को 5 से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया है।इतना अधिक कर-भार जैसलमेर का पत्थर व्यवसाय झेल नहीं पा रहा है। यही कारण है कि राजस्थान व गुजरात के मार्बल व्यवसायियों का साथ देते हुए यहां के उद्योगपतियों ने भी माल बेचना व बाहर रवाना करना बंद कर दिया है।
खड़ा हो सकता है रोजगार का संकट
जैसलमेर के रीको क्षेत्र में मंगलवार को जब पत्रिका टीम पहुंची तो वहां इक्का-दुक्का स्थानों को छोडक़र अन्य किसी पत्थर फैक्ट्री में मशीन चालू नजर नहीं आई। श्रमिकों की संख्या भी कम दिखी। जानकारी लेने पर पता चला कि पिछली एक जुलाई से जैसलमेरी मार्बल की बिक्री पूर्णतया बंद है। जिन उद्यमियों के यहां रॉ मैटेरियल के तौर पर मार्बल के ब्लॉक्स पड़े हैं, वे उनकी कटाई करवाकर श्रमिकों को किसी तरह से रोजगार दे रहे हैं। उद्यमियों ने बताया कि ऐसा वे ज्यादा दिनों तक नहीं कर पाएंगे। उद्यमियों और श्रमिकों के अलावा खदानों, भवन निर्माण का कार्य करने वाले मजदूरों-कारीगरों व ढुलाई करने वालों का रोजगार भी संकट में है। यह संख्या लगभग पांच हजार है।इतने परिवार सीधे तौर पर पत्थर व्यवसाय से संबद्ध है, अप्रत्यक्ष जुड़े लोगों की संख्या भी कम नहीं है।
बढ़ा दिया कर का बोझ
जीएसटी में मार्बल पत्थर के ब्लॉक पर 12 और तैयार माल पर कर 28 प्रतिशत किया गया है, जो पहले 5 प्रतिशत तक ही था। ऐसे ही सेंडस्टोन जो पूर्व में कर के दायरे से बाहर रखा गया था, उस पर कर 5 प्रतिषत है या 12 प्रतिशत, अभी तक स्पष्ट नहीं है। पत्थर उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इतना अधिक कर का बोझ जैसलमेर का पत्थर व्यवसाय वहन करने की स्थिति में कतई नहीं है।इसके चलते वे राजस्थान तथा पड़ोसी गुजरात राज्य के व्यवसायियों के साथ हड़ताल करने पर मजबूर हैं।
यहां निकलता है पत्थर
जैसलमेर जिले के सिपला, मूलसागर, सत्ता, काहला, चूंधी, जियाई, मूंदड़ी, अमरसागर में मार्बल तथा पिथला, बड़ाबाग, जेठवाई, चाहड़ू, पोहड़ा, हड्डा, बरमसर आदि में सेंड स्टोन और सांकड़ा, सनावड़ा, लखा, भाडली, मंगलसिंह की ढाणी आदि में ग्रेनाइट पत्थर निकलता है।
पहले से संकट में उद्योग
जैसलमेर का पत्थर उद्योग जीएसटी लागू होने से पहले ही मंदी की चपेट में आया हुआ है।यहां के रीको औद्योगिक क्षेत्र में 25-30 गैंगसा की बजाय वर्तमान में बमुश्किल 8-10 इकाइयां ही चल रही हैं, शेष गैंगसा इकाइयां बंद पड़ी हैं। ऐसे ही यहां ब्लॉक कटिंग के लिए लगभग 120 कटर लगे हुए हैं। इन इकाइयों में कभी 3 शिफ्टों में काम होता था, वहां आज एक शिफ्ट में ही काम चल रहा है। जानकारी के अनुसार रिक्टिफाइडटाइल्स और सिरेमिक्स से जैसलमेर के पत्थर को बड़ी चुनौती मिल रही है। मांग पहले की तुलना में खासी गिर चुकी है। ऐसे ही बीते महीनों के दौरान पर्यावरण स्वीकृति के चक्कर में पत्थर इकाइयां करीब चार माह तक झटके खा चुकी हैं।
फैक्ट फाइल –
-50 करोड़ का सालाना पत्थर व्यवसाय
-150 पत्थर इकाइयां रीको क्षेत्र में
-300 खनन पट्टे जारी हैं जैसलमेर जिले में
-50 फीसदी की मांग में गिरावट
बढ़ा हुआ कर वापस ले सरकार
जीएसटी में 28 प्रतिशत कर लगाए जाने से जैसलमेर मार्बल का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएगा। केन्द्र सरकार को इस संबंध में तत्काल निर्णय लेकर कर की दरों को पूर्व की भांति करना चाहिए अन्यथा पत्थर उद्योग तबाह हो जाएगा और हजारों लोग बेरोजगार होंगे।
-गिरीश व्यास, सचिव, रीको इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, जैसलमेर
व्यवहारिक नहीं इतना कर
पत्थर उद्योग से जैसलमेर को पहचान मिली है। इस पर इतना अधिक कर का बोझ डालना कतई व्यवहारिक निर्णय नहीं है। देशभर में पत्थर व्यवसायी विरोध जता रहे हैं, सरकार को समय रहते कदम उठाकर राहत पहुंचानी चाहिए।
-दीपक केला, पत्थर व्यवसायी
Home / Jaisalmer / 50 करोड़ का पत्थर व्यवसाय ठप, 5 हजार लोगों की रोजी-रोटी संकट में