…इसलिए खास है वार म्युजियम
-भारतीय सेना की गौरव गाथा को संजोने के लिए मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर सैन्य स्टेशन पर जैसलमेर युद्ध संग्रहालय का निर्माण करवाया गया।-सेना की दक्षिणी कमान और जोधपुर आधारित कोणार्क कोर की कल्पना के साकार रूप का उदï्घाटन सेना की दक्षिण कमान के तत्कालीन जीओसी मेजर जनरल अशोक सिंह ने किया था।
-संग्रहालय में भारतीय सेना के अदम्य साहस, सैनिकों की व्यक्तिगत वीरता और उनके द्वारा दिए गए चरम बलिदान की गौरव गाथा को बेहतरीन ढंग से संजोया गया है।
-म्युजियम में पाकिस्तान के खिलाफ वर्ष 1965 और 1971 के युद्धों में प्राप्त विजय की गाथा का जीवंत प्रदर्शन किया गया है।
दर्शनीय और बेजोड़ भी
-युद्ध संग्रहालय के विशाल अहाते में पाकिस्तान से युद्ध में जीते गए 2 शेरमन और एक टी-59 टैंक रखे गए हैं। पाकिस्तान की एक रिकवरी गाड़ी, भारत का एक हंटर एयरक्राफ्ट, एक टी-55 टैंक व 2 विजयंत टैंक भी शृंगारित है। यहां एक-एक एंटी एयरक्राफ्ट गन, पैक हाउस 75/24, आरसीएल गन, एयर डिफेंस राडार और बी.टी.आर. 6 0 का भी प्रदर्शन किया गया है। संग्रहालय में चल चित्र के जरिए युद्ध की यादों को ताजा किया गया है। संग्रहालय में दो हॉल लोंगेवाला हॉल और इंडियन आर्मी हॉल बनाए गए हैं। संग्रहालय में आगंतुकों के लिए यहां एक छोटा सिनेमा, कैंटीन और सुव्यवस्थित दुकानें लगाई गई हैं। इसके अलावा शीतलता का अहसास कराने वाले फाउंटेन और हरी-भरी दूब से आच्छादित यह पूरा साफ-सुथरा परिसर पहली नजर में दर्शकों का मन मोह लेता है।