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जैसलमेर

1971 की जांबाजी देखनी हो तो जैसलमेर से महज 10 किलोमीटर दूर आइए..

सरहद से सटे और धोरों के बीच बसे जैसलमेर का वार म्यूजियम महज नौ वर्षों में ही देश-दुनिया में अपनी खास पहचान बना चुका है। पर्यटनगरी के तौर पर विख्यात स्वर्णनगरी में अब पर्यटन के लिहाज से पर्यटकों को नया स्पॉट बन चुका है। जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर जोधपुर-बीकानेर मार्ग पर भारतीय सेना की ओर से नौ वर्ष पहले निर्मित वार म्युजियम पर्यटन सीजन के दौरान पर्यटकों का चहेता पर्यटन स्थल बन चुका है।

जैसलमेरMay 17, 2024 / 08:30 pm

Deepak Vyas

war musiam
सरहद से सटे और धोरों के बीच बसे जैसलमेर का वार म्यूजियम महज नौ वर्षों में ही देश-दुनिया में अपनी खास पहचान बना चुका है। पर्यटनगरी के तौर पर विख्यात स्वर्णनगरी में अब पर्यटन के लिहाज से पर्यटकों को नया स्पॉट बन चुका है। जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर जोधपुर-बीकानेर मार्ग पर भारतीय सेना की ओर से नौ वर्ष पहले निर्मित वार म्युजियम पर्यटन सीजन के दौरान पर्यटकों का चहेता पर्यटन स्थल बन चुका है। गौरतलब है कि 25 अगस्त 2016 को शुरू किए गए वार म्यूजियम को एशिया के सर्वश्रेष्ठ 25 संग्रहालयों में भी जगह मिल चुकी है। वर्ष 2016 में ट्रिप एडवाइजर ने वार म्युजियम देखने आने वाले दर्शकों की टिप्पणियों को आधार बनाते हुए इसे शीर्ष संग्रहालयों में शामिल किया था।

…इसलिए खास है वार म्युजियम

-भारतीय सेना की गौरव गाथा को संजोने के लिए मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर सैन्य स्टेशन पर जैसलमेर युद्ध संग्रहालय का निर्माण करवाया गया।
-सेना की दक्षिणी कमान और जोधपुर आधारित कोणार्क कोर की कल्पना के साकार रूप का उदï्घाटन सेना की दक्षिण कमान के तत्कालीन जीओसी मेजर जनरल अशोक सिंह ने किया था।
-संग्रहालय में भारतीय सेना के अदम्य साहस, सैनिकों की व्यक्तिगत वीरता और उनके द्वारा दिए गए चरम बलिदान की गौरव गाथा को बेहतरीन ढंग से संजोया गया है।
-म्युजियम में पाकिस्तान के खिलाफ वर्ष 1965 और 1971 के युद्धों में प्राप्त विजय की गाथा का जीवंत प्रदर्शन किया गया है।

दर्शनीय और बेजोड़ भी

-युद्ध संग्रहालय के विशाल अहाते में पाकिस्तान से युद्ध में जीते गए 2 शेरमन और एक टी-59 टैंक रखे गए हैं। पाकिस्तान की एक रिकवरी गाड़ी, भारत का एक हंटर एयरक्राफ्ट, एक टी
-55 टैंक व 2 विजयंत टैंक भी शृंगारित है। यहां एक-एक एंटी एयरक्राफ्ट गन, पैक हाउस 75/24, आरसीएल गन, एयर डिफेंस राडार और बी.टी.आर. 6 0 का भी प्रदर्शन किया गया है। संग्रहालय में चल चित्र के जरिए युद्ध की यादों को ताजा किया गया है। संग्रहालय में दो हॉल लोंगेवाला हॉल और इंडियन आर्मी हॉल बनाए गए हैं। संग्रहालय में आगंतुकों के लिए यहां एक छोटा सिनेमा, कैंटीन और सुव्यवस्थित दुकानें लगाई गई हैं। इसके अलावा शीतलता का अहसास कराने वाले फाउंटेन और हरी-भरी दूब से आच्छादित यह पूरा साफ-सुथरा परिसर पहली नजर में दर्शकों का मन मोह लेता है।

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