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जैसलमेर

मध्यप्रदेश के श्रमिकों की हुई रवानगी, अब पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के श्रमिकों को घर जाने का इंतजार

– रामदेवरा में बैठे श्रमिक ने दी आत्महत्या की चेतावनी

जैसलमेरApr 29, 2020 / 08:02 pm

Deepak Vyas

मध्यप्रदेश के श्रमिकों की हुई रवानगी, अब पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के श्रमिकों को घर जाने का इंतजार

मध्यप्रदेश के श्रमिकों की हुई रवानगी, अब पंजाब, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के श्रमिकों को घर जाने का इंतजार

पोकरण. राज्य सरकार के निर्णय के अनुसार प्रशासन की ओर से बसों की व्यवस्था कर श्रमिकों को रवाना किया जा रहा है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देशभर में 22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। जिसे लगातार दूसरी बार बढ़ा दिया गया है। लॉकडाउन के कारण सभी उद्योग, धंधे, व्यापार के साथ अन्य कार्य ठप हो गए है। बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में श्रमिक यहां मजदूरी के लिए आए हुए है। जिन्हें लॉकडाउन के कारण मजदूरी नहीं मिल रही थी। प्रशासन की ओर से आश्रय स्थलों की स्थापना कर इन मजदूरों को रुकवाया गया था तथा भामाशाहों के सहयोग से भोजन की व्यवस्था की जा रही थी। इन श्रमिकों की ओर से लगातार अपने घर जाने की मांग की जा रही थी। सरकार की ओर से लिए गए निर्णय के बाद गत चार दिनों से इन श्रमिकों को यहां से भेजने का क्रम जारी है। प्रथम चरण में राजस्थान के विभिन्न जिलों के मजदूरों को रवाना किया गया। दूसरे चरण में मध्यप्रदेश के श्रमिकों को रवाना किया गया। मंगलवार शाम उपखंड अधिकारी अजय अमरावत के निर्देशन में तहसीलदार राजेश विश्रोई, नायब तहसीलदार प्रेमचंद, सामाजिक कार्यकर्ता भोमसिंह राठौड़ के निर्देशन में सांकड़ा गांव से श्रमिकों को रोडवेज बसों के माध्यम से रवाना किया गया। अब पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों के श्रमिक यहां फंसे हुए है, जो यहां से जाने की गुहार लगा रहे है।
श्रमिक दे रहा आत्महत्या की धमकी
रामदेवरा. लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड के कुछ श्रमिक रामदेवरा में अभी भी फंसे हुए है। ऐसे में अपने घर परिवार से 40 दिनों से दूर रह रहे युवक का मानसिक संतुलन बिगडऩे लगा है। उसने उत्तराखंड व राजस्थान सरकार से गुहार लगाई है कि उसे यदि अब समय पर घर जाने की अनुमति नहीं दी गई, तो वह मानसिक अवसाद में आत्महत्या कर लेगा। जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उत्तराखंड के उधमसिंहनगर जिले के रहने वाले राकेशकुमार अपने साथियों के साथ मजदूरी करने लॉकडाउन से पहले जैसलमेर आया था। यहां पर कुछ दिन मजदूरी की थी और इसकेे बाद लॉकडाउन हो गया। ऐसे में अपने साथियों के परिवार के साथ किसी तरह उसने समय काटा। फिर वह पैदल चलते हुए रामदेवरा तक आ गया। यहां पर प्रशासन व पुलिस की तरफ से उसे रोक दिया गया। उसे आश्वासन दिया गया कि शीघ्र ही उसे उसके घर जाने की कार्रवाई की जाएगी। अब मध्यप्रदेश व राजस्थान के सभी श्रमिक यहां से रवाना हो चुके है, तो यह देखकर उसका मानसिक संतुलन बिगडऩे लगा है। गत तीन दिनों से खाना पीना छोड़ कर घर जाने की जिद कर रहा है। ऐसे में तबीयत ज्यादा खराब होने पर बुधवार को ड्यूटी पर कार्यरत शिक्षकों की ओर से उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाकर उपचार करवाया गया। उसने बताया कि उसकी पत्नी गर्भवती है व उसकी वृद्ध माता घर में अकेली है। ऐसे में घर का देखभाल करने और घर खर्च चलाने वाला भी कोई नहीं है। वह इकलौता बेटा है, जो यहां आकर फंस गया है। उसके परिजनों व स्वयं का बेहाल हो रहा है। उसने राजस्थान सरकार से गुहार लगाकर शीघ्र से शीघ्र उसे अपने गृह नगर उत्तराखंड भिजवाने की मांग की है। अन्यथा वह मानसिक अवसाद में कभी भी आत्महत्या कर लेगा। श्रमिक की ओर से अवसाद ग्रस्त होने व आत्महत्या की चेतावनी देने पर फतेहाबाद धर्मशाला में रुके अन्य श्रमिक वर्ग व ड्यूटी पर तैनात शिक्षकगण भी उस पर 24 घंटे निगरानी कर रहे है।

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