scriptधर्म और राजनीति के एक युग का अवसान | The end of an era of religion and politics | Patrika News
जैसलमेर

धर्म और राजनीति के एक युग का अवसान

-सिंधी मुस्लिमों के धर्मगुरु गाजी फकीर के निधन से शोक में डूबा सीमांत जिला-सुपुर्द-ए-खाक के मौके पर उमड़े लोग

जैसलमेरApr 28, 2021 / 09:17 pm

Deepak Vyas

धर्म और राजनीति के एक युग का अवसान

धर्म और राजनीति के एक युग का अवसान

जैसलमेर. जैसलमेर के एक छोटे से गांव से सफर शुरू कर देश की सरहदों के पार तक अपने लाखों चाहने वालों को सिंधी मुस्लिमों के गुरु तथा पश्चिमी राजस्थान की राजनीति के महारथी माने जाने वाले गाजी फकीर ने अलविदा कह दिया। बीती रात्रि लम्बी बीमारी के बाद उन्होंने जोधपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। केबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद सहित छह पुत्रों के पिता गाजी फकीर को उनके पैतृक गांव झाबरा में सुपुर्द-ए-खाक करने के वक्त कोरोना की विभीषिका के बावजूद हजारों लोग जमा हुए। उन्होंने नम आंखों से अपने सबसे सम्मानीय व्यक्तित्व को दुनिया से विदा किया। उनकी अंतिम यात्रा भागू का गांव स्थित निवास स्थान से झाबरा पहुंची। जिसमें सैकड़ों की तादाद में वाहनों में सवार होकर अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अन्य वर्गों के लोग शामिल हुए। पिता राणे खां, माता और छोटे भाई पूर्व जिला प्रमुख फतेह मोहम्मद के पास गाजी फकीर को पूरे रीति-रिवाज के साथ जमीन की गोद में सुलाया गया। उस वक्त उनके सभी पुत्रों व रिश्तेदारों सहित हर आंख नम हो गई। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा जैसलमेर मुख्यालय व आसपास के इलाकों से लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे।
श्रद्धांजलि देने हुजूम उमड़ा
गाजी फकीर के निधन का समाचार जंगल की आग के जैसे फैला। अल सुबह ही भागू का गांव में अल्पसंख्यकों का भारी जमावड़ा हो गया। सुबह झाबरा ले जाने से पहले उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए गांव स्थित उस विशाल चौकी पर रखा गया, जहां बैठ कर गाजी फकीर ने अपने जीवन में अनगिनत मामलों में फैसले सुना। उनके अंतिम दर्शनों के लिए लोग उमड़ पड़े। बाद में झाबरा में सुपुर्द-ए-खाक से पहले उन्हें जैसलमेर विधायक रूपाराम धणदे, जैसलमेर नगरपरिषद के सभापति हरिवल्लभ कल्ला, जिलापरिषद सदस्य अंजना मेघवाल, कांग्रेस नेता गोविंद भार्गव, मूलाराम चौधरी, यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विकास व्यास व समाजसेवी मेघराज परिहार ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। उनकी पार्थिव देह पर कांग्रेस का ध्वज चढ़ाया गया। श्रद्धांजलि देने वालों में पुष्पेंद्र व्यास, अरविंद व्यास, आनंदसिंह देवड़ा, नरपतसिंहए अर्जुनराम रामगढ़ भी शामिल थे।
समाज के खलीफा से बने राजनीति के सूरमा
पाकिस्तान स्थित सिंधी मुस्लिमों के सबसे बड़े आस्था स्थल पीर पगारो के जैसलमेर और बाड़मेर जिलों के चीफ खलीफा के तौर पर गाजी फकीर ने पूरे सीमावर्ती क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय को एक सूत्र में बांध कर रखने में अहम भूमिका निभाई। पिछले चार दशक के दौरान वे कांग्रेस सहित जिले की पूरी राजनीति की धुरी बने रहे। 1985 के विधानसभा चुनाव में भूमिगत ढंग से मुस्लिम.मेघवाल गठबंधन बनाकर गाजी फकीर ने कांग्रेस के कद्दावर नेता भोपालसिंह को निर्दलीय युवा अधिवक्ता मुल्तानाराम बारूपाल से हरवा कर तहलका मचा दिया था। कहा जाता है कि भोपालसिंह ही उन्हें राजनीति में लाए थे। वे स्वयं प्रारंभिक काल में सरपंच और जिला परिषद सदस्य रहे। बाद में उन्होंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों को राजनीति में आगे बढ़ाया। उनके भाई फतेह मोहम्मद प्रधान और जिला प्रमुख के साथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद तक पहुंचे। उनके पुत्र शाले मोहम्मद दो बार जिले की पोकरण सीट से विधायक निर्वाचित हुए और मौजूदा समय में राजस्थान सरकार में अल्पसंख्यक मामलात विभाग के केबिनेट मंत्री हैं। उनके एक अन्य पुत्र अमरदीन फकीर जैसलमेर समिति के प्रधान रह चुके हैं तथा युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। अन्य पुत्र पिराणे फकीर, इलियास फकीर और अमीन खां भी पंचायतीराज राजनीति में सक्रिय हैं। कई नेताओं को गाजी फकीर ने सरपंच से लेकर सांसद तक बनने में अहम भूमिका निभाई है। उनका राजनीतिक प्रभाव जैसलमेर.बाड़मेर के साथ फलोदी और बीकानेर जिले तक में स्वीकार किया जाता है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक में कांग्रेस की उम्मीदवारी तय करने में फकीर का इशारा अहम माना जाता रहा है। मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे तथा दिग्गज नेताओं से उनके अच्छे सम्पर्क रहे। जिले के भाजपा नेता भी उनका राजनीतिक आशीर्वाद प्राप्त करने पूर्व के वर्षों में उनके पास पहुंचते रहे हैं।
फकीर करते थे इंसाफ
गाजी फकीर की शख्सियत का अहम पहलू सिंधी मुस्लिमों के बीच आपसी विवादों में इंसाफ करने से भी जुड़ा रहा है। अपने जीवनकाल में उन्होंने सैकड़ों मामलों में दोनों पक्षों के बीच किसी भी स्तर के विवादों में न्याय किया। गंभीर मामलों में फकीर स्वयं संबंधित लोगों के गांव में पहुंचते और छोटे-मोटे विवाद भागू का गांव स्थित अपने निवास पर निपटाते। इसके अलावा जिले में जब कभी सांप्रदायिक विवाद जैसे हालात उत्पन्न होते यहां के राजनेताए प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी भी उनसे मदद मांगते। कहा जाता है कि गाजी फकीर ने साम्प्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने में हमेशा अहम भूमिका निभाई।
विवादों से भी नाता
गाजी फकीर का विवादों से भी नाता रहा। प्रारंभिक दौर में पुलिस विभाग में उनकी हिस्ट्रीशीट बनी हुई थी। जिसे तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पंकज चैधरी ने जब फिर से खोला तो बड़ा बवाल मचा। उस समय फकीर के पुत्र शाले मोहम्मद पोकरण विधायक थे। मामला गरमाने पर चौधरी का यहां से तबादला कर दिया गया।
संवेदना जताई
गाजी फकीर के निधन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा, वरिष्ठ मंत्री डॉ. बीडी कल्ला, भंवरसिंह भाटी, अशोक चांदना और कई विधायकों व वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं आदि ने सोशल मीडिया पर संवेदना जताई। पाकिस्तान स्थित पीर पगारा सिबघट अल्लाह शाह रसीदी ने उनके निधन पर गहरा दु:ख प्रकट किया है। जारी बयान में उन्होंने कहा कि खलीफा गाजी फकीर के इंतकाल की खबर से सिंध प्रांत में शोक की लहर है। इसके साथ सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर सुबह से गाजी फकीर को श्रद्धांजलि देने का तांता लगा रहा।

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