पहले भी हो चुके हादसे- 14 जुलाई 2023 को एक ऊंट व एक गर्भवती ऊंटनी की मौत
– 10 जुलाई 2021 को 4 ऊंटों की मौत
– 24 अगस्त को 9 ऊंटों की मौत
– 28 जून 2022 को 2 गायों की मौत
– 30 मई 2022 को 3 बकरियों की मौत, 1 बकरी घायल
नहीं है सुरक्षा के प्रबंध
लाठी सहित आसपास का क्षेत्र पशु बाहुल्य है। यहां के ग्रामीण कृषि कार्य के साथ पशुपालन भी करते है। पोकरण-जैसलमेर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 पर कुछ गांवों के उत्तर तो कुछ गांवों के दक्षिण दिशा से रेलवे ट्रेक निकलता है। इन पटरियों के आसपास सूनसान जंगल में घास व चारा उपलब्ध होने से मवेशी यहीं चरने के लिए पहुंचते है। ऐसे में कई बार रेल के आने पर आवाज सुनकर हड़बड़ी में मवेशी रेल की चपेट में आकर काल का ग्रास हो जाते है। पूर्व में ऐसे कई हादसे होने के बावजूद जिम्मेदारों की ओर से उनकी सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने, रेलवे ट्रेक के आसपास सुरक्षा जाली लगाने आदि को लेकर कोई कवायद नहीं की जा रही है।
बढ़ रहा है रोष
रेल की चपेट में आने से आए दिन हादसे हो रहे है। जिससे वन्यजीवप्रेमियों, ग्रामीणों व पशुपालकों में रोष है। कई बार जिम्मेदारों को अवगत भी करवाया है, लेकिन सुरक्षा के प्रबंध नहीं किए जा रहे है।
– गौरीशंकर पूनिया, तहसील संयोजक अखिल भारतीय विश्नोई सभा, पोकरण