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जालौन में चीनी मिल बंद होने से गन्ना किसान परेशान, सरकार नहीं दे रही इस पर ध्यान

सरकार की उदासीनता के कारण यहां की चीनी मिल बंद हो गई।

जालौनSep 15, 2017 / 02:07 pm

नितिन श्रीवास्तव

Sugar mill in Madhogarh Jalaun UP Hindi News

जालौन में चीनी मिल बंद होने से गन्ना किसान परेशान, सरकार नहीं दे रही इस पर ध्यान

(अनुज कौशिक)

जालौन. जालौन के माधौगढ़ इलाके में गन्ना उत्पादन को देखते हुये सरकार ने एक चीनी मिल को स्थापित किया था, जिससे किसानों को गन्ना बेचने के लिये माधौगढ़ क्षेत्र से बाहर न जाना पड़े। लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण यहां की चीनी मिल बंद हो गई। जिससे यहां का गन्ना किसान परेशान है और अब गन्ने की फसल को कम करने लगा है। जो किसान यहां पर गन्ना का उत्पादन करता है, वह बाहर बेचने पर विवश हो जाता है लेकिन उसे मुनाफा नहीं मिल पाता है।

जालौन का यह माधौगढ़ इलाका है। यहा जहां पर नजर जायेगी वहीं खेतों में गन्ने की फसल खड़ी दिखाई देगी लेकिन अब इस इलाके में लोग गन्ने की खेती कम करने पर मजबूर हो गये है। क्योंकि इस इलाके में एक चीनी मिल हुआ करती थी जो बंद हो गई है और इसी कारण यहां पर किसानों ने गन्ने की फसल को अब कम कर दिया है।
1970 में स्थापित की गई थी चीनी मिल

यहां पर गन्ने की अच्छी पैदावार को देखते हुये डिकौली ग्राम में 1970 में खांडसारी नाम से मिल को दिल्ली के एक उद्योगपति ने स्थापित कराया था। लेकिन सन 1972 में इस खांडसारी मिल को यूपी सरकार ने अपने आधिपत्य में लेकर 18 लाख रुपये की लागत से इसे चीनी मिल बना दिया था। जिसके बाद इस मिल में माधौगढ़ इलाके के साथ अन्य इलाके से किसान अपना गन्ना पिराने लगे थे जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ने लगी थी और यह क्षेत्र चीनी उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र बन गया था। इसीलिये किसान यहाँ पर गन्ने की पैदावार बढ़ाने में लग गये थे लेकिन राज्य सरकार की उदासीनता और यहाँ पर मौजूद कर्मचारियों की लापरवाही की कारण यहाँ पर गन्ने की पिराई कम होने लगी। 3 साल तक इस मिल को खूब मुनाफा हुआ लेकिन इसके बाबजूद किसानों को गन्ने का भुगतान नहीं मिल सका बाद में इसे 1975 में बंद कर दिया। मिल बंद होने से किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ा और कई बार इसके लिये किसानों ने अधिकारियों से लेकर यूपी सरकार के सचिव रहे आरपी सिंह ने भी मुलाक़ात की लेकिन यह मिल चालू न हो सकी।
खंडहर में तब्दील हो गई मिल

1970 में स्थापित यह चीनी मिल बंद होने के बाद अब यह खंडहर में तब्दील हो गई है। गन्ना किसानों का कहना है कि यहाँ पर खूब गन्ना उत्पादन होता था और बैलगाड़ी से आस-पास के इलाकों का गन्ना आता था लेकिन मिल में गन्ना पिराई नहीं हो पाती थी। किसानों का कहना है कि यह सरकार की उदासीनता के कारण ही यह मिल बंद हो गयी। यदि यह मील चलती रहती तो उन्हे भी लाभ होता और यहाँ का किसान भी खुशहाल होता लेकिन इस पर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया, किसानों का कहना है कि कई बार चर्चा हुयी कि यह मिल चालू हो रही लेकिन अब यह खंडहर में तब्दील हो गई यहाँ की मशीने भी गायब हो गई और यह नीलाम की स्थिति में आ गई।

काली मिट्टी होने के कारण अच्छा उत्पादन होता था गन्ना

किसानों का कहना है कि वह आज भी गन्ने का खूब उत्पादन करते है क्योकि यहाँ की मिट्टी काली है और अच्छा उत्पादन करती है यदि गन्ना मिल शुरू हो जाये तो उन्हे बाहर अपना गन्ने को बेचने नहीं जाना पड़ेगा और उन्हे खूब फायदा भी होगा। अभी किसान घाटमपुर से लेकर कानपुर देहात के इलाके में अपना गन्ना बेचने जाता है और उसे उतना फायदा नहीं हो पाता है।
कई बार सरकार से सामने रखा गया मुद्दा

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि उन्होने इस मुद्दे को कई बार उठाया। उन्होंने बताया कि जनपद गन्ना उत्पादन का बहुत बडा हब और यहां गन्ने का खूब उत्पादन होता था और आज भी होता है और एक यहाँ पर चीनी मिल हुआ करती थी और किसान यहाँ पर गन्ना देता था और अच्छी लाभ में रहता था लेकिन इसे साजिश के तहत बंद कर दिया गया। उन्होने कहा कि इसके लिये कई बार पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह राजनाथ सिंह के साथ वर्तमान स्थिति में सीएम योगी से भी बात की लेकिन अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होने बताया कि चुनाव के दौरान कई वादे किये गये कि मिल चालू कराई जायेगी लेकिन यह सिर्फ चुनावी वादे ही रह गये यह सरकार और अन्य पार्टियों का झुनझुना देने का है। उन्होने कहा कि यहाँ का किसान आत्महत्या के लिये मजबूर हो जाता है और वह प्रयास करेगे कि जल्द यह मिल शुरू हो सके।

सरकार ने मिल शुरू करने का दिया भरोसा

किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम लंबरदार का कहना है कि यहाँ पर चीनी मिल थी और अच्छा परिणाम भी आ रहा था और किसान भी मेहनता करता था। यहाँ गन्ना इसीलिये अच्छा होता था कि यहाँ की काली मिट्टी है और कम उर्वरक लगता था और गन्ने को बांधना नहीं पड़ता लेकिन अब यहाँ मिल नहीं है अगर ये मिल शुरू हो जाये तो फायदा होगा। यहाँ सरकारों से बात की लेकिन केवल उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया। उन्होने कहा कि यहाँ पर पहले से ही मिल स्थापित है यदि सरकार शुरू करना चाहे तो इसे कर सकती है। उन्होने बताया कि वह 1 सितंबर को सीएम योगी से मुलाक़ात की और उन्होने यह बंद पड़ी चीनी मिल को शुरू करने की बात कही है जिससे बुंदेलखंड का विकास हो सके। उन्होने कहा कि इसके लिये लगातार आंदोलन चल रहा है।

दो बार हो चुकी नीलामी की प्रक्रिया

चीनी मिल बंद होने के बारे में जालौन के अपर जिलाधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि चीनी मिल क्यो बंद हुयी यह उन्हे जानकारी नहीं इसके बारे में झांसी मण्डल के मंडलायुक्त से जानकारी ले सकते है वहीं बुंदेलखंड विकास निगम के एमडी है। लेकिन उन्होंने इतना जरूर बताया कि इस मील को नीलाम होने की दो बार प्रक्रिया हो चुकी जिसमें 2012 में 8 लाख की बोली लगी थी लेकिन बोली लगाने वाले ने रुपये जमा नहीं कराये थे इसीलिये निरस्त हो गई थी। इसके अलावा 2014 में इसकी दोबारा नीलामी की प्रक्रिया हुयी थी लेकिन वह भी अधर में लटकी है। जब उनसे पूंछा कि क्या यह मिल दोबारा शुरू हो सकती है तो उन्होने बताया कि इसके बारे में वह नहीं बता सकते और अभी कोई ऐसी बात सामने नहीं आई है।

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