चुनाव में याद आते हैं मुद्दे, विकास चल रहा कागजों में
पालिका चुनाव को लेकर सियासत तेज हो चुकी है और दोनों ही दल विकास के मुद्दे पर चुनाव लडऩे की बात कर रहे हैं, लेकिन इसके विपरीत नगरपालिका क्षेत्र विकास से महरूम है। वर्षों पुराने मुद्दे आज भी सियासत का आधार बने हुए हैं।

सांचौर. पालिका चुनाव को लेकर सियासत तेज हो चुकी है और दोनों ही दल विकास के मुद्दे पर चुनाव लडऩे की बात कर रहे हैं, लेकिन इसके विपरीत नगरपालिका क्षेत्र विकास से महरूम है। वर्षों पुराने मुद्दे आज भी सियासत का आधार बने हुए हैं। सांचौर की बात करें तो वर्षों पूर्व जिन मुद्दों पर चुनाव लड़े जाते थे, उन्हीं पर आज भी चुनावी रोटियां सेंकने की कवायद चल रही है। सीधे तौर पर विकास राह भटक चुका है और लोग विकास की राह तांक रहे हैं। नगरपालिका बोर्ड बने करीब 45 वर्ष से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद सीवरेज की समस्या का निदान नहीं हो पाया है। 35 हजार की आबादी वाले सांचौर में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं होने से आमजन बेहाल है। सीवरेज की समस्या के मुद्दे के समाधान की बजाय दोनों दल के नेता एक दूसरे पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ देते हंै।
पिछले बोर्ड में भी कुछ खास नहीं हुआ
शहर में 2015 में बने पालिका बोर्ड को लेकर भी लोगों को उम्मीदे जगी थी, लेकिन इस बोर्ड के कार्यकाल के बाद भी निराशा ही हाथ लगी। वहीं समस्या भी जस की तस बनी होने से शहरवासियों को निराशा ही हाथ लग रही है। पालिका बनने से पूर्व शहर के बसावट के दौरान लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार पानी निकासी व्यवस्था कर देेने व पालिका की ओर से इस समस्या को गंंभीरता से नहीं लेने की वजह से सीवरेज की समस्या जटिल हो गई।
ये क्षेत्र हैं प्रभावित
पालिका क्षेत्र के इन्द्रा कोलोनी, रमेश कॉलोनी, खेतेश्वर कॉलोनी, पुराना पॉवर हाऊस, माहेश्वरी कॉलानी, भील बस्ती व शिवनाथपुरा सहित अन्य क्षेत्रों में गंदे पानी की निकासी प्रमुख समस्या है। यहां गंदगी से आमजन बेहाल है और इस समस्या के निदान की बाट जोह रहे हैं।
विचाराधीन है 1100 करोड़ का प्लान
पालिका क्षेत्र की सीवरेज की समस्या से निजात के लिए 1100 करोड़ रुपए का सीवरेज प्लान बनाकर मंजूरी के लिय भेजा गया, लेकिन इस पर स्वीकृति जारी नहीं की गई है। राज्य सरकार प्रस्ताव को स्वीकृति दे देती है तो पालिका क्षेत्र का नए सिरे से प्लानिंग के तहत कायापलट होगी।
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