सूत्रों के अनुसार एक पीड़ित डॉक्टर शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) में कार्यरत था जबकि दूसरा श्री महाराजा हरि सिंह हॉस्पिटल में काम कर रहा था। दोनों डॉक्टरों को सांस लेने में दिक्कत आने और बुखार होने के बाद SKIMS में ही निगरानी में रखा गया। बताया जा रहा है कि दोनों ही डॉक्टर कोरोना वायरस के खिलाफ काम कर रही टीम का हिस्सा हैं। डॉक्टरों ने सुरक्षा उपकरणों की कमी के चलते संक्रमित होने की संभावना अधिक होने की बात कही है।
सरकार ने शनिवार को आखिरकार डॉक्टरों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और ट्रिपल-लेयर्ड मास्क प्रदान करने के लिए कदम बढ़ाया है। वर्तमान में जम्मू और कश्मीर में 3300 लोग निगरानी में हैं। बता दें कि कश्मीर में श्रीनगर से एक कोरोना संक्रमण का मामला सामने आया है। इसके बाद श्रीनगर और काश्मीर के अन्य हिस्सों में कड़े प्रतिबंधों लगा दिए गए।
इधर सुरक्षाबलों के जवानों को कोरोना संक्रमण से बचने के लिए दिशा निर्देश जारी कर सर्तक रहने के लिए कहा गया है। जो जवान छुट्टी पर घर गए हैं, शीर्ष अधिकारियों की ओर से उनकी छुट्टियां बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं। इसी के साथ वायरस के प्रसार को रोकने के लिए गैर-जरूरी आवाजाही रोक दी गई है। श्रीनगर में सीआरपीएफ प्रवक्ता नीरज राठौर ने कहा कि शीर्ष अधिकारियों ने कर्मियों की यात्रा को प्रतिबंधित करने के लिए ये दिशानिर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक सीआरपीएफ में कोरोना वायरस का कोई संदिग्ध मामला नहीं है। हालांकि, जवानों द्वारा यात्रा को प्रतिबंधित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जवानों को उनकी इकाइयों में मेडिकल टीमों द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है। इसी के साथ जवानों को व्यक्तिगत स्तर पर एहतियात बरतने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
सैनिकों को संक्रमित होने से बचाने के लिए सेना ने भी इसी तरह के उपाय अपनाए हैं। उत्तरी कमान के रक्षा प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल अभिनव नवनीत ने कहा कि बलों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने आवाजाही को तब तक के लिए प्रतिबंधित करें जब तक कि केंद्रशासित प्रदेश में कोरोनो वायरस का प्रभाव कम ना हो। लेफ्टिनेंट कर्नल नवनीत ने कहा कि छुट्टी पूरी करने के बाद जो जवान ड्यूटी पर आता है उसका मेडिकल चेक—अप किया जाता है और यूनिट में शामिल होने से पहले उन्हें अलग कर लिया जाता है।