भारत के पक्ष में प्रतिक्रिया
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भारत के क़दम को उसका आंतरिक मामला बताया है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इससे लद्दाख का विकास होगा। उन्होंने लिखा कि पता चला है कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनने जा रहा है। 70 प्रतिशत से अधिक बौद्ध आबादी वाला लद्दाख भारत का पहला बौद्ध बहुल राज्य होगा। लद्दाख का गठन और इसके लिए होने वाला पुनर्गठन भारत का आंतरिक मामला है. मैं लद्दाख जा चुका हूं, यह घूमने लायक जगह है। वहीं, बांग्लादेश ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मामला है, ऐसे में उसके पास किसी और के अंदरूनी मामलों पर बोलने का अधिकार नहीं है। बांग्लादेश के सडक़ यातायात और पुल मंत्री और सत्ताधारी अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल क़ादर ने कहा कि बांग्लादेश पड़ोसियों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता। वहीं, मालदीव ने भी इसे भारत का अंदरूनी मामला बताया है। मालदीव सरकार के बयान के अनुसार सभी संप्रभु राष्ट्रों को ज़रूरत के अनुसार अपने कानून बदलने का अधिकार है।
पाकिस्तान के पक्ष में ये खड़े
कुछ देशों ने भारत के क़दम की आलोचना की है तो कुछ ने सुझाव दिया है कि दोनों देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के आधार पर आगे बढऩा चाहिए। चीन ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि भारत ने यथास्थिति में एकतरफा बदलाव किया है जो इस क्षेत्र में तनाव को इतना बढ़ा सकता है कि चीन भारत के आंतरिक मामलों में दख़ल देने लगे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ छुनइंग ने कहा कि चीन अपनी पश्चिमी सीमा के इलाके को भारत के प्रशासनिक क्षेत्र में शामिल किए जाने का हमेशा ही विरोध करता रहा है। यह समझना आसान है कि चीन ने यह बात क्यों दोहराई। मगर चीन की चिंताएं उसके इस कथन से प्रकट होती हैं कि हाल ही में भारत ने अपने एकतरफ़ा क़ानून बदलकर चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को कम आंकना जारी रखा है। यह अस्वीकार्य है और यह प्रभाव में नहीं आएगा। वहीं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन से फ़ोन पर बात की थी और दावा किया था कि तुर्की इस मामले में पाकिस्तान के साथ है। बाद में अर्दोआन ने कहा था कि मंगलवार को उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से “सफल” बातचीत हुई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि वह क्षेत्र से तनाव कम करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क करेंगे। ऐसा ही बयान मलेशिया की ओर से भी आया है। प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद के कार्यालय की ओर से बयान जारी करके कहा गया है कि उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात हुई थी। बयान में कहा गया है कि मलेशिया चाहता है कि इस मामले के सभी पक्ष संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करें ताकि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति बनी रहे। भारत और पाकिस्तान दोनों को अपना सहयोगी बताते हुए मलेशिया ने उम्मीद जताई है कि दोनों संवाद के माध्यम से इस पुराने मसले को हल करें।
इन देशों की तटस्थ प्रतिक्रिया
ताज़ा विवाद पर कई देशों का रुख और प्रतिक्रिया सार्वजनिक नहीं हो पाई है जिनमें नेपाल, भूटान, अफग़़ानिस्तान, म्यांमार, जापान, रूस और इजराइल शामिल हैं। मगर कुछ देश ऐसे हैं, जिन्होंने संतुलित प्रतिक्रिया दी है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अब्बास मौसावी ने कहा कि ईरान ने भारत और पाकिस्तान दोनों के पक्षों को सुना है। वह चाहते हैं कि वे लोगों के हितों की रक्षा और शांति के लिए आपस में संवाद करें। वहीं, ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब ने कहा है कि उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री से कश्मीर के हालात पर चर्चा की और ब्रिटेन की चिंताएं ज़ाहिर कीं। उन्होंने कहा, कि मैंने भारतीय विदेश मंत्री से बात की है। हमने स्थिति को लेकर अपनी कुछ चिंताएं ज़ाहिर की हैं और शांति की अपील की है। लेकिन हमने भारत के नज़रिए से स्थिति को भी समझा है। खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात ने भी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है और हालात पर चिंता जताई है। यूएई की ओर से भी दोनों पक्षों से धैर्य और संयम बरतने की अपील की गई है। विदेश मंत्री डॉ. अनवर बिन मोहम्मद गारगश की ओऱ से जारी बयान में कहा गया है शांति बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों को वार्ता का सहारा लेना चाहिए। वहीं, सऊदी अरब की ओर से आधिकारिक बयान नहीं आया है मगर सऊदी अख़बारों ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सऊदी अरब मसले का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से चाहता है।