कैसे होती है लिकिंग से कर्ज वसूली
किसानों को खेती-किसानी करने खाद-बीज और नगद के रूप में सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है। ऋणी किसान धान बेचने पहुंचते हैं तो लिकिंग के जरिए धान बेचते ही ऋण की राशि काट ली जाती है और शेष राशि किसानों को मिलती है।
31 मार्च तक नहीं पटाया हो जाएंगे डिफाल्टर
लिकिंग के जरिए वसूली नहीं होने पर अब अधिकारी ऐसे किसानों से नगद में कर्ज वसूली करने की बात कही जा रही है। किसान अगर 31 मार्च तक कर्ज जमा कर देंगे तो कोई ब्याज नहीं देना पड़ेगा। इसके बाद 12 प्रतिशत सालाना ब्याज लगेगा।
इससे क्या होगा किसानों को नुकसान
1. किसान डिफाल्टर हो जाएंगे।
2. खेती-किसानी के लिए आगे कर्ज नहीं मिलेगा।
3. वसूली के लिए आरसीसी, धारा 64 की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।
4. बाद में अगर कर्ज जमा करना चाहेंगे तो सालाना 12 त्न ब्याज देना होगा।
लिकिंग में वसूली में अन्य जिलों से अच्छी स्थिति हालांकि लिकिंग से जरिए कर्ज वसूली में जांजगीर-चांपा जिले की स्थिति अच्छी है। जिले में 97 फीसदी ऋण वसूली हुई है। जबकि बिलासपुर जिले में 94 त्न, जीपीएम में 84 त्न, मुंगेली में 95 त्न, सक्ती में 95त्न और कोरबा जिले में 93 त्न ही लिकिंग से ऋण वसूली हुई है।
लिकिंग से 97 प्रतिशत ऋण वसूली हुई है। शेष ऋण वसूली नगद के रूप में किसानों के द्वारा जमा कराई जा रही है। 31 मार्च तक किसानों के पास समय है। इसके बाद भी ऋण जमा नहीं करने पर आरसीसी प्रकरण व धारा 64 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे किसानों को आगे फिर ऋण नहीं दिया जाएगा।
आरएल तिवारी, नोडल आफिसर जांजगीर-चांपा