विदेशों में भाषा को मिलती है जगह
अखिलेन्द्र का कहना है, भारत में केवल हिंदी भाषा को मल्टीपेक्स में जगह मिलती है। क्षेत्रिय भाषा कभी यहां तक नहीं पहुंचती है। विदेशों में भाषा को महत्व दिया जाता है। देश में सिंगल पर्दे बंद करते वक्त लोग काफी खुश हुए की अब हम फिल्मों को बड़े पर्दे में देखेंगे। लेकिन वही लोग अब पुराने पर्दे में लौटना चाहते है। पुस्तक मेला को लेकर अखिलेन्द्र ने कहां, शहरों में ऐस आयोजन होने से लोगों में भाषा और संस्कृति का संचार होगा। इस दौरान उन्होंने आम लोगों से चर्चा की।
पंसदीदा लेखक से मिले पाठक
पुस्तक मेला में दिनभर किताब प्रेमियों की भीड़ जुटी रही। लोगों ने अपनी रूचि अनुसार किताबे खरीदी। वही पंसदीदा लेखक से चर्चा भी की। कार्यक्रम में हिंदी युग्म प्रकाशक के लेखक सत्य व्यास, नवीन चौधरी, अंकिता जैन पहुंचे हुए थे। लेखकों स्टाल में बैठकर ना केवल किताबों का प्रचार किया। इस दौरान पाठकों से किताब के संदर्भ में चर्चा भी की।