एम्स के आयुष बिल्डिंग और सी ब्लॉक में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। आयुष बिल्डिंग में ही गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से लेबर रूम तथा ऑपरेशन थिएटर बनाए गए हैं। गायनिक, पीडियाट्रिक, एनेस्थिसिया, मेडिसिन व अन्य विभागों के डॉक्टर व स्टॉफ की एक अलग टीम 24 घंटे मौजूद रहती है।
डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं को अलग-अलग कमरे में रखकर इलाज किया जाता है, इससे संक्रमण का खतरा नहीं रहता है। गर्भवती महिलाओं के इलाज में विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। नवजात तक संक्रमण न पहुंचे, इसका विशेष ख्याल रखा जाता है। एम्स में 9 डिलीवरी हुई है, लेकिन डॉक्टरों की सर्तकता की वजह से संक्रमण किसी बच्चे तक नहीं पहुंचा है।
लॉकडाउन में भी चल रहा था इलाज
लॉकडाउन के दौरान भी एम्स में गर्भवती महिलाओं का इलाज किया जा रहा था। कोरोना वायरस की चुनौती के बीच चिकित्सक कई एहतियात के साथ प्रतिदिन औसतन दस प्रसव करा रहे थे। गायनिक डिपार्टमेंट में गर्भवती महिलाओं के लिए पृथक स्क्रिनिंग जोन, आइसोलेशन वार्ड और ट्रीटमेंट वार्ड बना हुआ है।
एम्स रायपुर के निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर ने बताया, एम्स के कोविड-19 वार्ड में प्रदेश के बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं। 75 गर्भवती महिलाओं का इलाज किया गया है, जो सफलता का एक नया प्रतिमान है।