
makan me aai darare
जानकारी के अनुसार शहर से लगे गांव बिरगहनी के आसपास १५ से २० क्रशर प्लांट का संचालन किया जा रहा है। इसमें वर्तमान में ६ से ७ क्रशर अभी चल रहे है। बाकी कुछ वजह से बंद पड़े हुए है। वहीं पर पत्थर खदान में बडी मात्रा में उत्खनन किया जा रहा है। जिसमें नियमानुसार परिसर में पौधरोपण कराना होता है लेकिन यहां पर पौधरोपण दूर तो अब तक इन्होंने धूल उडने से रोकने के लिए न तो मशीनों की स्क्रीन पर एमएस सीट लगाई है और न ही वाटर स्प्रिंकलर लगाई। ऐसे में रोजाना बड़ी तादात में क्रशरों से निकलने वाली धूल हवा में घुलकर मजदूरों सहित पास में रहने वाले लोगों की सेहत को खतरा बन रही है। तो वहीं दिन रात हो रहे विस्फोट से लोगों के घरों में पत्थर गिर रहे हैं। साथ ही बिरगहनी गांव में पंचायत भवन में भी दरारें आ गई है। इसके अलावा गांव के अधिकांश मकान में दरारें आना बात बात है। यहां ग्रामीण हर साल अपने मकान को मरम्मत कराते रहते है। साथ ही नजीजन चारों ओर धूल उड़ रही है। यह धूल आसपास रहने वालों की सांसों में समा रही है। शहर से गांव बिरगहनी के लोग क्रशर और खदान को लेकर खनिज विभाग और जिला प्रशासन से शिकायत भी की गई लेकिन किसी के द्वारा अभी तक कोई कार्रवई नहीं की गई। वहीं यहां पर खदान में लोगों के आने-जाने से की मनाही नहीं और न ही इसके लिए तार फिनीशिंग की गई है। जिससे खदानों में बच्चों का आना जाना रहता है और पानी में नहाते हैं, जिससे कभी भी बडी घटना होने की संभावना बनी रहती है।
क्या कहते है ग्रामीण व जनप्रतिनिधि
इस संबंध में ग्रामीण अब विधायक ब्यास कश्यप के पास अपनी समस्या को लेकर पहुंचे थे। बिरगहनी सरपंच ओमप्रकाश पटेल सहित ग्रामीणों का कहना है कि हैवी ब्लास्टिंग का परमिशन ही नहीं है, इसके बावजूद हैवी ब्लास्टिंग किया जा रहा है। हैवी ब्लास्टिंग होने से डेढ़ से दो किमीमीटर तक मकान में दरारे आ जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि ब्लास्टिंग होते ही सहम जाते है, क्योंकि मकान गिरने का डर भी सताता रहता है। विधायक को समस्या से अवगत कराया गया है। इस संबंध में विधायक का कहना है कि कलेक्टर से शिकायत किया जा रहा है। इसके बात भी समस्या का समाधान नहीं होने पर विधानसभा में मामल उठाया जाएगा।
धूल से फसलें हो रही बर्बाद
आसपास के रहने वाले दुर्गेश यादव, सानु आदि ग्रामीणो ने बताया कि क्रशर मशीन से थोड़ी ही दूरी पर उनका खेत है। यहां से उडने वाली धूल के कारण हर साल उनकी फसल का नुकसान तो होता है। वहीं क्रशर संचालकों की मनमानी के चलते आसपास रहने वाले लोगों श्वास संबंधी बीमारियां तो फैल ही रही हैं। पौधरोपण भी नहीं किया जा रहा है।
बना रहता है सिलिकोसस का खतरा
पत्थर खदान और क्रशर प्लांट के आसपास रहने वाले लोगों और काम करने वाले लोगों को हरदम सिलिकोसस बीमारी होने का खतर बना रहता है। एक क्रशर 3 से 4 किमी के आवासीय क्षेत्र को प्रभावित करता है। पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर और आसपास रहने वाले लोगों में शत-प्रतिशत सिलिकोसिस होने की संभावना रहती है। इसके अलावा ये करीब 1 किमी क्षेत्र की खेती को भी गंभीर रूप से नष्ट करते हैं। इनके आसपास की जमीन बंजर हो जाती है। उन्होंने कहा कि मशीनों को कबर्ड करने के साथ पानी का छिड़कान किया जाना चाहिए।
Published on:
02 Feb 2024 09:41 pm
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