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जांजगीर चंपा

ये उपाय अपनाएंगे तो किसान होंगे मालामाल, जानने के लिए पढि़ए खबर…

– मशरूम को स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन के मीनू में शामिल करने शीघ्र तैयार किया जाएगा कार्य योजना

जांजगीर चंपाNov 30, 2017 / 01:27 pm

Vasudev Yadav

ये उपाय अपनाएंगे तो किसान होंगे मालामाल, जानने के लिए पढि़ए खबर...
कोसमंदा. कृषि अवशेष को खेत मे बिल्कुल न जलाएं, बल्कि इससे मशरूम उत्पादन कर अच्छी आमदनी अर्जित करें, जिससे किसानों की आर्थिक उन्नति होगी। वहीं खेत में कृषि अवशेष को जलाने से मिट्टी की उर्वरक शक्ति तथा पर्यावरण प्रदूषित होने से हम बचा सकते है। तभी प्रधानमंत्री की मंशा अनुरूप कृषि से हमारी आय दोगुनी हो सकती है।
मशरूम को स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन के मीनू में शामिल करने कार्य योजना भी शीघ्र तैयार किया जाएगा।
ये बातें बलौदा ब्लॉक अंतर्गत जाटा पंचायत आश्रित ग्राम बहेराडीह में नरेगा के तहत पांच लाख 67 हजार रुपए के लागत से निर्मित मशरूम शेड का लोकार्पण समारोह में एग्रीकल्चर कालेज जांजगीर के डीन डॉ. केपीएस बनाफर ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता बलौदा ब्लॉक के कृषि स्थायी समिति के सभापति जोहन लाल कश्यप ने की।
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विशिष्ट अतिथि ऑस्ट्रेलिया की मिसना, प्रोफेसर एग्रीकल्चर कालेज जांजगीर डॉ. आरयू खान, वरिष्ट कृषि अधिकारी बलौदा अन्ना एक्का, राष्ट्रीय कृषि कर्मठ पुरस्कार से समानित महिला कृषक सुशीला गबेल, कृषि विज्ञान केन्द्र के पौध रोग विशेषज्ञ जयंत कुमार साहू तथा मिशन हॉस्पिटल के मैनेजर जे बसवराज उपस्थित थे।

कार्यक्रम अध्यक्ष कश्यप ने कहा कि आदर्श किसान क्लब तथा अन्नदाता कृषक बहुदेशीय सहकारी समिति मर्यादित बहेराडीह के किसानों द्वारा कृषि के साथ साथ मशरूम की खेती को बारहमासी करके इससे ट्राइकोडर्मा युक्त जैविक खाद बनाकर आम के आम और गुठली के दाम जैसी चरितार्थ को साबित कर अच्छी आमदनी ले रहे है।
वसोराज ने कहा कि जिले में बलोदा एक ऐसा ब्लॉक है, जहां अन्नदाता कृषक सोसयटी बहेराडीह में पचास कृषक समूह है, जो कृषि में धान्य फसल के अलावा दलहन तिलहन तथा सब्जी मशरूम की खेती और कई किस्म की जैविक उर्वरक तैयार करके अपनी खेती में इस्तेमाल करअच्छा लाभ ले रहे है। ऑस्ट्रेलिया से पहुंचे मिस ना ने भारत देश में खेती की तकनीक को जानने तथा मशरूम पैदावार व जैविक खेती को बढ़ावा देने हर संम्भव सहयोग देने की बात कही।
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महिला कृषक गबेल ने मशरूम के बाजार में तोड़ाई करने के पश्चात ताजा के साथ साथ बड़ी, पापड़, बिजोड़ी, अचार सुप, बिस्किट, पावडर तैयार कर बिक्री करने की सलाह मशरूम उत्पादक समूह को दी। प्रोफेसर डॉ. आरयू खान ने कहा कि कृषि के साथ पशु पालन डेरी मशरूम को किसान एक साथ अच्छे से कर सकते है। यही कार्य बहेराडीह के किसान लम्बे समय से करते आ रहे है जिससे कृषि से उन्हें दुगुनी लाभ मिलने लगी है।
कृषि अधिकारी एक्का ने कहा कि यहां के किसान धान के फसल अवशेष को मशरूम उत्पादन मवेशी को खिलाने और जैविक खाद बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही गोबर का बायोगैस संयंत्र के माध्यम से ईंधन खाद तथा गो मूत्र से टॉनिक और कीटनाशक व अंजोला को हरा चारा खाद बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं और कम लागत में उन्नत खेती करने वाले यहां के कृषक अन्य गांवों के किसानों के लिए पे्ररणादायक साबित हो रहे हैं। इस क्षेत्र में यहां के युवा कृषक दीनदयाल यादव को राष्ट्रीय स्तर पर समानित भी किया गया है।

अगस्त में महोत्सव
मशरूम शेड लोकार्पण के दौरान अन्नदाता सोसायटी बहेराडीह के सचिव व कृषक संगवारी दीनदयाल यादव ने बताया कि अगस्त का महीना ही मशरूम के लिए खास होता है। इस महीने को मशरूम महोत्सव कहा जाता हैं क्योंकि इसी महीने में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है।

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