scriptये थे बॉर्डर मूवी के असली हीरो भैरोसिंह, पाकिस्तान के इतने फौजियों को किया था ढेर | Bravery story of BSF soldier Bhairo Singh Rathod, fought the war of 1971 | Patrika News
जोधपुर

ये थे बॉर्डर मूवी के असली हीरो भैरोसिंह, पाकिस्तान के इतने फौजियों को किया था ढेर

वीर शूरमाओं की धरा शेरगढ़ के सोलंकियातला गांव में जन्मे भैरोसिंह राठौड़ बीएसएफ की 14 बटालियन में 1971 में जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात थे। जहां पर भैरोसिंह ने अपने असाधारण शौर्य व वीरता का परिचय देते हुए पाक सैनिकों के दांत खट्टे किए थे।

जोधपुरJan 15, 2024 / 02:39 pm

Rakesh Mishra

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वीर शूरमाओं की धरा शेरगढ़ के सोलंकियातला गांव में जन्मे भैरोसिंह राठौड़ बीएसएफ की 14 बटालियन में 1971 में जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट पर तैनात थे। जहां पर भैरोसिंह ने अपने असाधारण शौर्य व वीरता का परिचय देते हुए पाक सैनिकों के दांत खट्टे किए थे। भारत पाक सीमा पर लोंगेवाला पोस्ट पर वे मेजर कुलदीपसिंह की 120 सैनिकों की कंपनी के साथ तैनात रहकर डटकर सामना करते हुए पाक के टैंक ध्वस्त कर दुश्मनों को मार गिराया। शेरगढ़ के सूरमा भैरोसिंह ने एमएफजी से 15-20 पाकिस्तानी दुश्मनों को ढेर कर दिया।
भैरोसिंह युद्ध में मेजर कुलदीपसिंह के नेतृत्व में डटकर लड़े। शौर्यवीर भैरोसिंह की वीरता, पराक्रम व असाधारण शौर्य के चलते सन 1997 में रिलीज हुई बॉर्डर फ़िल्म में सुनील शेट्टी ने राठौड़ का रोल अदा किया था। फ़िल्म में सिंह को शहीद बताया गया था, हालांकि असल जिंदगी में फिल्म के रियल हीरो भैरोंसिंह का 19 दिसंबर 2022 को जोधपुर एम्स में निधन हुआ था। 1971 के युद्ध में उनके पराक्रम पर राठौड़ को तत्कालीन मुख्यमंत्री बरकतुल्लाह खान ने सेना मेडल से नवाजा था। गौरतलब है कि सन 1963 में बीएसएफ में भर्ती होकर राठौड़ 1987 में रिटायर्ड हुए थे।
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भैरोंसिंह ने बताया था कि लोंगेवाला की लड़ाई जीते हुए कई साल बीत गई हैं। वहां एक ऐतिहासिक जीत मिली थी पर आज की पीढ़ी इस बात से वाकिफ ही नहीं है कि लोंगेवाला है कहां? मैं चाहता हूं कि जिस तरह गुलाम भारत के वीरों की कहानी बच्चों को पता है। उसी तरह आजाद भारत के सैनिकों की दास्तां भी हर किसी को मालूम होनी चाहिए। हर साल दिसंबर माह में जंग के दिनों की यादें ताजा हो जाती हैं। यह दुनिया की पहली ऐसी जंग थी जो सिर्फ 13 दिन तक ही लड़ी गई। 16 दिसंबर 1971 के दिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों के साथ हिंदुस्तान के आगे सरेंडर किया था। इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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