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जोधपुर के उम्मेद हॉस्पिटल और एमडीएम जनाना विंग में खत्म हुई ये दवा, कहीं मरीजों पर नहीं गिर जाए गाज

 हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से कोई अग्रिम इंतजाम नहीं

जोधपुरSep 11, 2017 / 09:21 am

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जोधपुर. इन दिनों से लेकर पूरी सर्दी तक उम्मेद हॉस्पिटल और मथुरादास माथुर हॉस्पिटल के जनाना विंग में डिफ्थीरिया शिशु रोगी आने की सीजन हैं। दोनों हॉस्पिटल प्रशासन के पास नि:शुल्क लगाए जाने वाले एंटी डिफ्थीरिया सीरम तक के इंतजाम नहीं हैं। दोनों हॉस्पिटल्स में डिफ्थीरिया रोगी भर्ती हैं और कुछ संदिग्ध भी। एेसे रोगी कुछ दिनों से लगातार आ रहे हैं। हॉस्पिटल्स में नि:शुल्क मिलने वाला सीरम खत्म होने के कारण परिजनों की जान सांसत में आई हुई है। दूसरी ओर वार्डों में कार्यरत रेजीडेंट और सीनियर डॉक्टर भी खौफ में हैं। इस सीरम के अभाव में उम्मेद हॉस्पिटल के शिशु रोग विभाग में पिछले एक सप्ताह में दो-तीन रोगी मरने की भी सूचना है। हालांकि इस बात की पुष्टि और आंकड़े देने में जिम्मेदार हिचक रहे हैं।
रेजीडेंट ने कहा, नहीं एडीएस

इस मामले को लेकर पत्रिका टीम रविवार को चाइल्ड केयर संस्थान की सदस्य बन कर गई। इस दौरान टीम को आईसीयू में कार्यरत एक रेजीडेंट ने कहा कि एडीएस के अभाव में दो-तीन बच्चे भी पांच दिन में मर चुके हैं। कुछेक वार्डों में रेजीडेंट ने बताया कि एडीएस के अभाव एक मरीज अहमदाबाद चला गया।

१३ सौ रुपए की एक सीरम

एंटी डिफ्थीरिया सीरम की बाजार में कीमत १३ सौ रुपए है, जो सरकारी हॉस्पिटल में आने वाले कई परिजनों के लिए बड़ी राशि है। यह सीरम जोधपुर में हरेक दुकान पर नहीं मिलती है। सूत्रों के अनुसार सिवांची गेट स्थित एक निजी मेडिकल स्टोर पर यह सीरम उपलब्ध होने की सूचना थी, पत्रिका टीम के यहां पहुंचने पर उन्हें यहां भी सीरम की किल्लत मिली। जानकारी मिली कि लंबे समय से सीरम की कमी है।

कंपनियों ने बनाना बंद किया

यह घोड़े के ब्लड के सीरम से बनती है। घोड़ों को मारने पर प्रतिबंध है। सीरम की मार्केट में सेल कम हो रही है। वजह यह भी है कि लोग डिफ्थीरिया का टीका लगा लेते हैं। उसके बाद उन्हें डिफ्थीरिया नहीं होता, जिन शिशुओं को यह टीका नहीं लगता है, उनको डिफ्थीरिया रोग होता है। इसकी ज्यादा खपत नहीं होने और एक्सपायर्ड होने के डर से वे सीरम नहीं मंगवाते हैं, जबकि सरकारी हॉस्पिटल्स में एेसे सीरम आवश्यक रूप से प्रचुर मात्रा में होने चाहिए।

क्या है डिफ्थीरिया


यह एक से दूसरे बच्चे में फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। ज्यादा गंभीर हालात में इसमें बच्चों का बचना मुश्किल होता है। ग्रामीण इलाकों में आंगनाबाड़ी व एएनएम को संपूर्ण टीकाकरण की जिम्मेदारी दी गई है। टीमें कई घरों तक नहीं पहुंचती हैं। एेसे में डिफ्थीरिया के रोगी सामने आ रहे हैं। यह बीमारी कॉरीनेबैक्टेरियम डिफ्थीरिया बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होती है। इसके बैक्‍टीरिया टांसिल व श्वांस नली को सबसे ज्‍यादा संक्रमित करते हैं। सांस लेने में दिक्‍कत, गर्दन में सूजन, बुखार व खांसी इसके लक्षण हैं। इस बीमारी को गलघोंटू भी कहा जाता है। यह बीमारी इसके जीवाणु के संक्रमण से फैलती है। इसका जीवाणु पीडि़त व्यक्ति के मुंह, नाक और गले में रहते हैं। इसके लिए केएलबी टेस्ट होता है। फिर कहां है सीरम एमडीएम के जनाना विंग के चिकित्सक बता रहे है कि वे उम्मेद से सीरम मंगवा रहे है। उम्मेद के चिकित्सक बता रहे है कि वे सीरम जनाना विंग से मंगवा रहे है। हालात यह है कि सीरम अभी तक कहीं नहीं है।
नहीं आ रहे बाजार में

इस मामले को लेकर पत्रिका को एक निजी चिकित्सालय के डॉ. अमरसिंह से बातचीत की। उन्होंने बताया कि सीरम की लंबे समय से किल्लत चल रही है। सेल कम होने के कारण कंपनियां सीरम नहीं बना रही है।
करता हंू बात

मैं इस बारे में बात करता हूं। मेरे पास किसी तरह से डिमांड नहीं आई है।

डॉ. एसके भास्कर, अधीक्षक, एमडीएमएच

उम्मेद हॉस्पिटल अधीक्षक ने नहीं उठाया फोन

इस संबंध में उम्मेद हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. रंजना देसाई से संपर्क साधना चाहा, लेकिन उनके फोन न उठाने से बात नहीं हो पाई।

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