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जोधपुर

ई-सिगरेट पर प्रतिबंध जारी रखने को एकजुट हुए देश के एक हजार से अधिक डॉक्टर

-पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख प्रतिबंध जारी रखने का पुरजोर आग्रह-राजस्थान के 158 डॉक्टर्स भी शामिल, जोधपुर एम्स की भी भागीदारी

जोधपुरMar 23, 2019 / 09:30 pm

Kanaram Mundiyar

के.आर. मुण्डियार

जोधपुर

देश के एक हजार से अधिक चिकित्सकों नेे इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार की है। मोदी को भेजे पत्र में राजस्थान के 158 चिकित्सक, जोधपुर एम्स के चिकित्सक समेत देशभर के 1061 चिकित्सकों ने ई-सिगरेट के बढ़ते प्रभाव पर गहरी चिन्ता जताते हुए इस पर प्रतिबंध जारी रखने का पुरजोर आग्रह किया है।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में चिकित्सकों ने चिंता जताई कि व्यापार और उद्योग संगठन देश में ईएनडीएस व ई-सिगरेट (ई-सिगरेट, ई-हुक्का आदि) को बढ़ावा दे रहे हैं। जबकि ईएनडीएस युवाओं की नसों में जहर घोलते हुए महामारी की तरह बढ़ रहा है। वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) की डायरेक्टर आशिमा सरीन ने अमरीकन कैंसर सोसायटी, अमेरीकन हार्ट एसोसिएशन जैसे प्रतिष्ठित संगठनों का हवाला देते हुए कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (2017) के अनुसार, भारत में 100 मिलियन लोग धूम्रपान करते हैं, जो ईएनडीएस निर्माताओं के लिए एक बड़ा बाजार है। इसलिए ईएनडीएस लॉबी भारत में प्रवेश पाने व प्रतिबंध हटाने की कोशिश में बहुत धन खर्च कर रही है। ऐसे युवक जिन्होंने कभी नियमित सिगरेट का इस्तेमाल नहीं किया, वे वेपिंग से स्मोकिंग की शुरुआत कर रहे हैं। इसके बाद वे नियमित सिगरेट के आदी हो जाते हैं।
चिकित्सकों के समूह के 30 संगठनों की ओर से आइटी मंत्रालय को लिखे पत्र में भी चिंता व्यक्त की गई है। पत्र में कहा कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का मामला है और इसलिए इसे खतरे में डालकर व्यावसायिक हितों की रक्षा नहीं की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि 28 अगस्त, 2018 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को ईएनडीएस पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक परामर्शिका जारी की थी। हाल ही मंत्रालय से नियुक्त स्वास्थ्य विशेषज्ञों के पैनल ने ईएनडीएस पर 251 शोध अध्ययनों का विश्लेषण किया। पैनल का निष्कर्ष है कि ईएनडीएस किसी भी अन्य तंबाकू उत्पाद जितना ही खराब और असुरक्षित भी है।
जोधपुर एम्स के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित गोयल के अनुसार शोध से साबित हो चुका है कि ईएनडीएस सुरक्षित नहीं है। यह धूम्रपान की समाप्ति का विकल्प नहीं हैं। निकोटिन पर निर्भरता स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख खतरा है। यह एक अत्यधिक नशे की लत वाला रसायन है। इन उत्पादों को भारत में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
इसलिए फल-फूल रहा नेटवर्क-
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम के अभियान से जुड़े चिकित्सकों के अनुसार चिकित्सकों का एक अन्य वर्ग ही ईएनडीएस लॉबी से प्रभावित होकर अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संघों की रिपोर्ट के संदर्भ को गलत तरीके से प्रचारित कर रहा है।
अमरीकन विद्यार्थियों में बढ़ा 78 प्रतिशत ई-सिगरेट का चलन-
अमरीकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की एक रिपोर्ट के अनुसार यूएस में 2017 से 2018 तक एक वर्ष में ई-सिगरेट का प्रचलन हाई स्कूल के विद्यार्थियों में 78 प्रतिशत और माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में 48 प्रतिशत तक बढ़ा है।
क्या है ई-सिगरेट-
ई-सिगरेट को ई-सिग, वेप्स, ई-हुक्का, वेप पेन भी कहा जाता है। जो इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) हैं। कुछ ई-सिगरेट नियमित सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे दिखते हैं। कुछ यूएसबी फ्लैश ड्राइव, पेन और अन्य रोजमर्रा की वस्तुओं की तरह दिखते हैं। जो युवाओं को आकर्षित करते हैं।

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