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जोधपुर

बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान ने लगा दिए थे बॉर्डर स्थित शिव मंदिर पर ताले, तनातनी खत्म होने के बाद फिर खुले कपाट

भारत और पाकिस्तानी सेना के मध्य बॉर्डर पर चल रही तनातनी खत्म होने के साथ ही पाकिस्तान ने सिंध प्रांत के उमरकोट स्थित विश्व प्रसिद्ध भगवान शिव के मंदिर के ताले खोल दिए हैं।

जोधपुरJul 03, 2019 / 10:48 am

Harshwardhan bhati

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बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान ने लगा दिए थे बॉर्डर स्थित शिव मंदिर पर ताले, तनातनी खत्म होने के बाद फिर खुले कपाट

गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. भारत और पाकिस्तानी सेना के मध्य बॉर्डर पर चल रही तनातनी खत्म होने के साथ ही पाकिस्तान ने सिंध प्रांत के उमरकोट स्थित विश्व प्रसिद्ध भगवान शिव के मंदिर के ताले खोल दिए हैं। हिंदुओं को अब वहां पूजा-पाठ की अनुमति है। बालाकोट हमले के बाद पाकिस्तान ने हिंदुओं पर जासूसी के संदेह में मंदिर पर ताला लगा दिया था। लोकोक्तियों के अनुसार इस शिव मंदिर में शिवलिंग का आकार अपने आप ही बदलता है।
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यह वही उमरकोट है जो अमरकोट के नाम से जाना जाता था और जहां मुगल बादशाह अकबर का जन्म हुआ था। पुलवामा हमले के बाद 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट पर एयर स्ट्राइक की थी। इसके अगले दिन पाकिस्तान एयरफोर्स और भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों के मध्य डॉग फाइट हुई। भयंकर तनातनी के बीच दोनों देशों की सेना बॉर्डर पर आ गई। उमरकोट बाड़मेर सीमा से करीब 60 किलोमीटर दूर है।
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पाक आर्मी का है बड़ा बेस
यहां पाक आर्मी का बड़ा बेस है। भारत के साथ तनाव के बाद पाक ने यहां टैंक रेजिमेंट और कई बटालियनें बुला ली। शिव मंदिर के पास पाक आर्मी का मूवमेंट अधिक होने के कारण मंदिर को बंद कर दिया गया। सिंध के हिंदुओं ने इसका विरोध किया, लेकिन आर्मी पर असर नहीं हुआ। चार मार्च को शिवरात्रि के दिन लोगों की अपील पर इसे तीन घण्टे के लिए खोला गया था। पाक आर्मी को यहां जासूसी का संदेह था।
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अपने आप आकार बदलता है शिवलिंग
उमरकोट में सैंकड़ों साल पहले चट्टान काटकर शिव मंदिर बनाया गया था। इसका गर्भगृह काफी बड़ा है जहां शिवलिंग है। इस पर कथई रंग का सर्प लिपटा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक उनके पूर्वजों ने शिवलिंग को अपने आप आकार बदलते हुए भी देखा है। मंदिर पर जाने के लिए चटक लाल रंग की सीढिय़ां हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर पीपल के नीचे दुर्गा का भी मंदिर है। इसके अलावा उमरकोट में काली माता मंदिर, कृष्ण मंदिर, मनहर और काठवाड़ी मंदिर है। यहां पहले सोढ़ा राजपूतों का शासन था।

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