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जोधपुर

10 बार पॉजिटिव-नेगेटिव होकर आखिर कोरोना से जीते महेश उत्तमचंदानी, जानिए वायरस सर्वाइवर की पूरी कहानी

शास्त्रीनगर सी सेक्टर निवासी महेश उत्तमचंदानी 22 मार्च को एमडीएम अस्पताल में भर्ती हुए। उत्तमचंदानी अब तक सर्वाधिक कोरोना सर्वाइवर रहे हैं। उन्हें मंगलवार को केएन टीबी एंड चेस्ट हॉस्पिटल के संक्रामक रोग संस्थान से डिस्चार्ज किया गया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

जोधपुरApr 29, 2020 / 11:29 am

Harshwardhan bhati

success story of coronavirus survivor mahesh uttamchandani in jodhpur

10 बार पॉजिटिव-नेगेटिव होकर आखिर कोरोना से जीते महेश उत्तमचंदानी, जानिए वायरस सर्वाइवर की पूरी कहानी

अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. शास्त्रीनगर सी सेक्टर निवासी महेश उत्तमचंदानी 22 मार्च को एमडीएम अस्पताल में भर्ती हुए। उत्तमचंदानी अब तक सर्वाधिक कोरोना सर्वाइवर रहे हैं। उन्हें मंगलवार को केएन टीबी एंड चेस्ट हॉस्पिटल के संक्रामक रोग संस्थान से डिस्चार्ज किया गया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उत्तमचंदानी 1 माह 6 दिन में उत्तमचंदानी के 9 सैंपल लिए गए, इनमें में वे कई दफे पॉजिटिव आने पर हताश भी हुए। अस्पताल अधीक्षक डॉ. महेश भाटी और सीएमएचओ डॉ. बलवंत मंडा ने कहा कि अच्छे इलाज के साथ मरीज का आत्मविश्वास भी काम आया। उन्होंने पूरे स्टाफ व मरीज को बधाई दीं।
एक जोड़ी कपड़ा बार-बार पहनने से होता रहा संक्रमण
महेश उत्तमचंदानी ने कहा कि 22 मार्च को आधा घण्टे में टेस्ट करके वापस घर भेजने का कहकर प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें तुरंत घर खुला छोड़कर चलने को कहा। घर पर हमेें कुछ भी खाने नहीं दिया। पानी पीना दो घंटे बाद भी तब नसीब हुआ, जब हमने 20 बार दरवाज़ा खटखटाना पड़ा। अस्पताल के एक कक्ष में हमें बंद कर दिया गया।
खैर… हमारा पहला केस था, डॉक्टर आदि सब असमंजस में थे। 3 बजे टेस्ट हुआ अगले दिन पॉजिटिव रिपोर्ट आई। एमडीएम अस्पताल के डॉक्टर बहुत विनम्र और सहानुभूति और सेवा भाव से पेश आ रहे थे। किसी तरह का भय या ख़ौफ़ नहीं था। सोचा थकान इत्यादि है और जल्द ठीक हो जाएगा और हुआ भी ऐसा। 3 दिन बाद सब कुछ सामान्य लगा, खाना भी अच्छा लगने लगा। मन में एक विश्वास हो चला और एक सकारात्मक सोच के साथ चले कि सब ठीक हो जाएगा।
10 दिन के बाद पहला टेस्ट नेगेटिव आया। हम स्वयं और डॉक्टर बहुत उत्साहित हुए, लेकिन 3 दिन बाद फि र टेस्ट नेगेटिव आए। अब सोच और सकारात्मक हो गई, 6 अप्रैल को हमें संक्रामक रोग संस्थान स्थानांतरित किया गया। वहां डॉ. आलोक मोहता, कविता शर्मा व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जयराम ने बहुत अच्छा ख्य़ाल रखा। हर सुविधा उपलब्ध करवाई।
8 अप्रेल को मेरा तीसरा टेस्ट हुआ पॉज़िटिव आ गया और मैं निराश हुआ। कारण तुरंत समझ में आ गया कि हम घर से जो कपड़े पहन कर निकले थे और हमें आधे घंटे में टेस्ट करके घर भेजने की बात कहकर घर खुला छुड़वाकर तुरंत साथ चलने का कहकर हमें रोज़मर्रा की दवाइयां और एक जोड़ी कपड़ा तक साथ नहीं लेने दिया गया। वो हीं एक जोड़ी संक्रमित कपड़े वापस पहन कर हमें स्थानांतरित होना पड़ा था और प्रशासन के कड़े रवैये के कारण हम घर से कुछ नहीं मंगवा सके और इन्हीं संक्रमित कपड़ों के पुन: प्रयोग के कारण हम पुन: संक्रमित हो गए।
उन्होंने बताया कि तीन चार दिन पुन: इलाज चला और मेरी पत्नी की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई और उन्हें छुट्टी दे दी गई। मेरी रिपोर्ट पॉजि़टिव रही पर मैंने हिम्मत नहीं हारी। सोच सकारात्मक बनाए रखी। खाने की क्वालिटी की मैंने शिकायत की तो नर्स कविता शर्मा ने मुझे रोज़ सुबह-शाम फ ल , नारियल पानी और अस्पताल और अपने घर से मिला जुला स्वादानुसार मनपसंद गरम गरम खाना देना शुरू किया। जिसकी बदौलत सब ठीक होता गया।
उत्तमचंदानी ने कहा कि प्रतिदिन 1 घण्टा प्राणायाम, सुबह नींबू, हल्दी का पानी, दिन में 7-8 लीटर गरम पानी, चार बार ग्रीन टी , नारियल पानी, 4 बार नमक हल्दी गरम पानी के गरारे, 4-5 बार भाप लेना और 7 बार हनुमान चालीसा पढऩा शुरू किया। इसके बाद नेगेटिव आने पर अस्पताल से जोरदार विदाई दी गई। घर पहुंचने पर पड़ोसियों ने स्वागत किया। डिस्चार्ज की खबर पत्नी, बहन, भाई, बेंगलुरु और न्यूयॉक में बेटियों को दी तो खुशी के आंसू आ गए।
तारीख- कब आए पॉजिटिव-नेगेटिव
22 मार्च- पॉजिटिव
2 अप्रेल- पॉजिटिव
4 अप्रेल- नेगेटिव
6 अप्रेल-नेगेटिव
8 अप्रेल-पॉजिटिव
12 अप्रेल-पॉजिटिव
15 अप्रेल-पॉजिटिव
18 अप्रेल-पॉजिटिव
22 अप्रेल-पॉजिटिव
27 अप्रेल- नेगेटिव

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