ना-पाक हरकत में कमांडेंट समेत चार जवान शहीद हुए गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी रेंजर्स की गोलीबारी में बीएसएफ के एक सहायक कमांडेंट रैंक के अधिकारी समेत चार जवान शहीद हो गए और तीन अन्य घायल हुए हैं। बीएसएफ (जम्मू फ्रंटियर) के आईजी राम अवतार के मुताबिक, पाकिस्तानी रेंजर्स ने मंगलवार रात रामगढ़ सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रात करीब 9.40 बजे पोस्ट अशरफ से बीओपी चामलियाल पर बिना उकसावे जमकर गोलियों चलाई थीं। इससे पहले रमजान माह के मद्देनजर पाकिस्तानी रेंजर्स और बीएसएफ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम के लिए सहमत हुए थे, लेकिन पाकिस्तानी सेना अपनी हरकत से बाज नहीं आई। रक्षा सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने इस साल अब तक संघर्ष विराम के उल्लंघन की कुल 908 घटनाओं को अंजाम दिया है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 860 था।
अपना दल ने रक्षा नीति में सुधार की जरूरत जताई अपना दल के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अजय प्रताप सिंह ने फेसबुक पर लिखा है कि – समझ में नहीं आ रहा है कि कमी कहां है। सरकार ने छूट दे रखी है कि पहली गोली हम नहीं चलाएंगे लेकिन अगर उधर से पहली गोली आएगी तो इधर से जवाब में गोली कम नहीं पडऩी चाहिए। इस छूट के बावजूद क्यों भारतीय जवान ही शहीद हो रहे हैं। अजय ने लेख को विस्तार देते हुए लिखा है कि सैनिकों की शहादत बढ़ रही है, ऐसे में केंद्र सरकार को रक्षा नीति पर चिंतन करना चाहिए। अजय का कहना है कि पाकिस्तान पड़ोसी देश नहीं बल्कि कुत्ता जैसा है, जिसकी पूछ को कितने भी साल पाइप में डालकर रखो, लेकिन निकालने पर टेढ़ी ही रहती है। ऐसे में पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना जरूरी है।
सरकार की चुप्पी 2019 में चुनाव के वक्त भारी पड़ेगी अजय ने मिशन 2019 के संदर्भ में चिंता जताते हुए कहा है कि वर्ष 2019 के आम चुनाव में जनता मोदी सरकार से यह प्रश्न जरूर पूछेगी कि शहीदों के बलिदान का बदला क्यों नहीं लिया। इसलिए पाकिस्तान के साथ सिर्फ बातचीत बंद करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीनकर सख्त कदम उठाने होंगे। अपना दल ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की भी कॉपी अब जांची जानी चाहिए कि वह कहां तक अपने काम में सफल हुए है। अपना दल का दावा है कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कूटनीतिक यात्रओं से पाकिस्तान पर दबाव बनाया है, लेकिन सुरक्षा नीति निर्देशकों की कमी ने मेहनत पर पानी फेर दिया।