शासन के निर्देश पर बेसहारा मवेशियों के लिए वृहद गोआश्रय, कान्हा गोशाला व अस्थायी पशु आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं। गोवंशों के छाया, चारा-पानी, रख-रखाव आदि के लिए लाखों रुपये का बजट दिया जा रहा है। पशु आश्रय स्थलों की व्यवस्था दुरस्त रखने की जिम्मेदारी एसडीएम, बीडीओ के साथ ही पंचायत सचिव व प्रधान को सौंपी गई है, लेकिन अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूरी पर बारा ग्राम पंचायत में बने पशु आश्रय स्थल इन दिनों बदहाल है।
यहां पर पिछले एक पखवारे से कई गोवंश बीमारी की चपेट में आए गए थे। इससे तीन पशुओं की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कई मवेशी अभी भी कुपोषण व बीमारी की चपेट में हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि व बड़े अधिकारियों का निरीक्षण होने पर महज दिखावे के लिए हरा चारा लाया जाता है। इसके बाद गोवंशों को सिर्फ सूखा भूसा दिया जाता है, जिस कारण वह कुपोषित होकर दम तोड़ रहे हैं।
पंचायत सचिव हरनाथ संखवार ने बताया कि गोवंशों की देखरेख के लिए उन्हें पूर्व में 25 हजार रुपये तथा दूसरी बार 77 हजार रुपये की धनराशि दी गई थी, जो खर्च हो गई और उसकी उपभोग प्रमाण पत्र भी दे दिया गया। इसके बावजूद पिछले एक माह से धनराशि नहीं मिल सकी है, जिससे उधारी पर व्यवस्थाएं की जा रही हैं। अकबरपुर बीडियो वेदप्रकाश मौर्य ने बताया कि बारा पशु आश्रय स्थल के लिए धनराशि अभी मिलनी है। एसडीएम के यहां कागजी कार्रवाई चल रही है। शासन को दोबारा पत्र भेजकर मांग की जाएगी।