२०१४ के लोकसभा चुनाव में मिश्रिख लोकसभा सीट पर भाजपा की अंजूबाला ने जीत दर्ज कराई थी, यह बात अलग है कि उनकी जीत का श्रेय मोदी लहर को दिया जाता रहा। इस बार उनकी टिकट काटकर बसपा से आए अशोक रावत को प्रत्याशी बनाया गया है। अशोक रावत को ही अंजूबाला ने हराकर इस सीट पर भाजपा को जीत दिलाई थी, अब अशोक को मौका देकर भाजपा बसपा का गणित बिगाडऩे की कोशिश में है, क्योंकि अशोक की अनुसूचित जाति के वोटों पर अच्छी पकड़ है।
हरदोई सीट पर २०१४ में जीते अंशुल वर्मा की जगह इस बार सपा से आए जयप्रकाश रावत को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। जयप्रकाश मिश्रिख सीट से सपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे। हरदोई में पिछड़े वोटों को जोडऩे के लिए जयप्रकाश को मैदान में उतारा है। कहा जा रहा है कि अभी कई अन्य सीटों पर भी भाजपा यही दांव चलकर गठबंधन की गांठ ढीली करने की कोशिश में है।
चर्चा यह भी है कि गठबंधन को कमजोर करने के लिए और बागियों को अपनी ओर खीचने के लिए नरेश अग्रवाल ने यह उलटफेर करवाया है। सपा छोड़कर भाजपा में आए नरेश अग्रवाल अब गठबंधन के प्रत्याशियों को मात देने के लिए समीकरण बिठा रहे हैं। उनकी यह कोशिश गठबंधन में भी हलचल पैदा कर रही है।