दरअसल 20 नवंबर का वह काला दिन जब कानपुर देहात के झांसी कानपुर रेलमार्ग पर पुखरायां के समीप मलासा स्टेशन के निकट इंदौर पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। ये ऐसा हादसा था, जिसने पूरे देश को हिला दिया था। घटना के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु सहित रेलवे अफसरों ने घटनास्थल का जायजा लिया था। घटना को देख स्थानीय लोगों की भी आंखे भर आईं थी। इसके बाद आतंकी साजिश की आशंका पर इस घटना की जांच एनआइए को सौंपी गई थी। इस पर एनआइए ने घटनास्थल पहुंचकर जांच शुरू की। हालांकि जांच का कोई निष्कर्ष नही निकल सका था।
इसके बाद क्षतिग्रस्त बोगियों की सुरक्षा के लिए रेलवे पुलिस काफी समय तक कैम्प लगाकर ठहरे थे। बाद में रेलवे पुलिस हटा ली गयी। वहीं एक दिन पूर्व क्षतिग्रस्त एसी कोच में संदिग्ध स्थितियों में आग लग गयी। इसकी सूचना मिलते ही दमकल की गाड़ियों ने आग पर काबू तो पा लिया लेकिन बोगी का कीमती सामान राख हो गया। रेलवे प्रशासन को घटना के कारण का पता नही चल सका। वहीं घटना को लेकर स्थानीय लोगों में भी तरह तरह की चर्चाएं हुईं। आरपीएफ थाना उरई इंस्पेक्टर राजीव उपाध्याय ने बताया कि पुलिस बल कम होने के चलते क्षतिग्रस्त बोगियों की सुरक्षा में लगे कैम्प को हटाया गया है। रविवार को एक एसी कोच में आग लगी है, जिसकी जांच की जा रही है।