डेंगू से बचाने में सबसे ज्यादा कारगर होता है गिलोय का काढ़ा। यह काढ़ा पीने में जितना कसैला होता है, डेंगू दूर करने में उतरा ही असर करता है। इसकी खासियत यह है कि अगर पहले से नियमित इसका सेवन कर रहे हैं तो डेंगू आसपास भी नहीं फटकेगा और अगर डेंगू हो गया है तो आपको यह काढ़ा आपको बिस्तर पर नहीं गिरने देगा और रोग को भी दूर करेगा।
गिलोय का काढ़ा भी दादी-नानी के नुस्खों में ही शामिल है। गिलोय के काढ़े में तुलसी, हरश्रंगार के पत्ते, काली मिर्च, अदरक मिलाएं और मिठास के लिए थोड़ी मिश्री मिला लें। इसके अलावा चिरायता, कालमेघ, पपीते के पत्तों का रस निकालकर तैयार किया गया काढ़ा भी डेंगू के वायरस से लड़ता है।
डेंगू ने अगर पकड़ लिया है तो सबसे ज्यादा खतरा प्लेटलेट्स कम होने का होता है। ऐसे में गोदंती भस्म, मृत्युंजय रस, आनंद भैरव रस का सेवन करने से प्लेटलेट्स कम नहीं होते हैं। इसका सेवन बीमारी में आयी कमजोरी को भी दूर करता है।
डेंगू से बचे रहने के लिए रेशेदार सब्जियां और फल खाएं, जिससे कब्ज भी दूर रहती है और पेट साफ रहने से वायरस के विषाक्त तत्व शरीर में नहीं रहते हैं। पत्ते वाली हरी सब्जियों का सेवन करें और पौष्टिक भोजन खाएं। सुबह शाम काला चना उबालकर खाएं और एलोवेरा और गिलोय का जूस सुबह शाम लें।