इस चूल्हे में अल्कोहल, हाई अल्कोहल व जिलेन के मिश्रण से बने जेल ईंधन अल्कोजेल का इस्तेमाल होता है। इस ईंधन से माइनस 60 डिग्री के तापमान में डिफेंस कुकिंग कुकर स्टोव 100 एमएल पानी महज 15 मिनट में उबाल देता है। रक्षा अनुसंधान एïवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की कानपुर स्थित शोध प्रयोगशाला, डिफेंस मैटीरियल एंड स्टोर रिसर्च एंड डेवलेपमेंट इस्टेबलिशमेंट (डीएमएसआरडीई) से अप्रूवल मिलने के बाद सेना सियाचिन और लद्दाख में इसका इस्तेमाल कर रही है।
सेना की दिलचस्पी से उत्साहित कंपनी ने तीसरे आर्डर में चूल्हे को अपग्रेड करके उसका कुकिंग टाइम २० मिनट और बढ़ा दिया है। पहले 170 ग्राम अल्कोजेल 150 मिनट यानी ढाई घंटे जलता था और स्टोव में ईंधन का अवशेष भी बच जाता था। अब यह 20 मिनट अधिक जलेगा, अवशेष भी महज 0.52 ग्राम ही बचेगा। यानी बिल्कुल प्रदूषण नहीं होगा। अल्कोजेल को कहीं भी लेकर आ-जा सकते हैं और किसी भी तापमान में रख सकते हैं।
कुकिंग कुकर स्टोव में एक बार में 170 ग्राम अल्कोजेल भरते हैं। खत्म होने पर रीफिल कर सकते हैं। कुकर पर छोटे भगौने, कुकर, कड़ाही, केतली, बीकर आदि रखकर चाय, सब्जी बना सकते हैं। मिनरल ऑयल कोरपोरेशन के एमडी विकास अग्रवाल कहते हैं कि सियाचिन और लद्दाख में केरोसिन और लकड़ी पर खाना पकाना मुमकिन नहीं है। बर्फीले इलाके में भी सैनिकों को खाना पकाने संबंधी दिक्कत न हो, इसके लिए कुकिंग स्टोव और अल्कोजेल ईंधन बनाया गया था।