बसपा सरकार के दौरान ही विकास दुबे ने चौबेपुर के साथ ही बिल्हौर, शिवराजपुर, रनियां व कानपुर में अपना रसूख कायम किया था। इस दौरान उसने कई अवैध जमीनों पर अवैध कब्जा भी किया। विकास दुबे के दबदबे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जेल में रहते हुए उसने शिवराजपुर से नगर पंचायत चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।
हरिकृष्ण श्रीवास्तव को सियासत में लाने का श्रेय आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या के बाद फरार रहे विकास दुबे को पुलिस कई दिनों तक तलाशती रही। इस बीच सोशल मीडिया पर विकास दुबे का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उसने कथित तौर पर हरिकृष्ण श्रीवास्तव को अपना राजनीतिक गुरू बताया और उन्हें राजनीति में लाने का श्रेय दिया था। श्रीवास्तव 1990-91 में मुलायम सिंह सरकार के दौरान स्पीकर थे।
जिसकी सरकार उसी में पैठ जिसकी सरकार होती थी विकास दुबे उसी सरकार में अपनी पकड़ मजबूत बनाता था। सबसे ज्यादा राजनीतिक पकड़ इसको बसपा सरकार से मिली है। इसके बाद कभी भाजपा तो कभी सपा में विकास दुबे ने संरक्षण प्राप्त किया।
इस हत्याकांड के बाद बढ़ा राजनीतिक कनेक्शन विकास दुबे सबसे पहले उस समय चर्चा में आया जब शिवली में जूनियर हाई स्कूल के प्रिंसिपल से झगड़ा होने के बाद इसने उनका मर्डर कर दिया था। इसके बाद बसपा के कुछ नेताओं के बल पर इसने पुलिस से अपना बचाव भी कर लिया और अपना दबदबा भी बना लिया। इसके बाद वह एक के बाद एक हत्याओं में लिप्त होता चला गया।
साल 2001 में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन मंत्री संतोष शुक्ला को विकास दौड़ा रहा था। कानपुर देहात के शिवली थाना इलाके में यह घटना हुई थी और थोड़ी ही देर बाद राज्य के दर्जा प्राप्त मंत्री को विकास दुबे ने गोली मार दी। इस हत्याकांड के बाद विकास दुबे का राजनीतिक कद बढ़ गया। वह मशहूर हो गया और उसे राजनीतिक मदद मिलने लगी।
10 साल तक बिकरू गांव का प्रधान करीब 10 साल तक विकास दुबे बिकरू गांव में प्रधान की गद्दी पर सवार रहे। खास बात यह है कि चुनाव के लिए कभी विकास दुबे ने प्रचार नहीं किया था। लेकिन खौफ के कारण लोग उसे वोट देते थे। विकास दुबे जिला पंचायत का सदस्य भी रहा। विकास दुबे का छोटा भाई भी पास के ही गांव भिती का प्रधान बना था। उसके भाई की पत्नी जिला पंचायत की सदस्य बनी।
दो साल से बीजेपी में घुसपैठ की तैयारी विकास दुबे पिछले करीब दो सालों से भाजपा में घुसपैठ की तैयारी में था। इसको लेकर विकास दुबे ने दिल्ली से लेकर लखनऊ तक कई संपर्क निकालने की कोशिश की लेकिन भाजपा में उसकी घुसपैठ सीधे तौर पर नहीं हो पाई। घुसपैठ का मतलब सीधे तौर पर अपने काले कारनामों के लिए सुरक्षा लेना।
2022 विधानसभा चुनाव लड़ने की थी तैयारी कहा जाता है कि विकासु दुबे रनिया से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर इस बार चुनाव को लेकर पूरी तैयारी में था। कुछ दिनों पहले बदमाशों के हाथों मारे गए पिंटू सेंगर और विकास दुबे दोनों अगल-बगल की विधानसभा को लेकर बसपा से ही तैयारी में जुटे थे। पिंटू सेंगर रसूलाबाद से और विकास दुबे रनिया से।