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कानपुर

लालू यादव को जज ने माना आरोपी, फैसले के बाद रो पड़े टोपे के नाती

राव ने कहा कि लालू यादव गरीबों के मसीहा हैं और उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है।

कानपुरDec 23, 2017 / 06:52 pm

Ashish Pandey

Lalu Yadav found guilty

Lalu Yadav found guilty

विनोद निगम
कानपुर. बिहार की राजनीति में कई दशकों से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाले पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को जज ने चारा घोटाले का आरोपी मानते हुए उन्हें हिरासत में लेने का आदेश सुना दिया और सजा की तरीख 3 जनवरी मुकर्रर कर दी। इसी के चलते पटना से लेकर कानुपर तक राजनीतिक गलियारे में महौल गर्म है। अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंकने वाले क्रांतिकारी तात्या टोपे के नाती विनायक राव अपने भगवान ( लालू यादव) को निर्दोष बताते हुए रो पड़े और पीएम मोदी और सीएम नीतिश कुमार की साजिश बता डाली। राव ने कहा कि लालू यादव गरीबों के मसीहा हैं और उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। लेकिन बड़े भईया विरोधियों को परास्त कर जल्द दोषमुक्त होकर गरीब तबके के लिए काम करेंगे।
लालू को एक परिवार मानता है भगवान
बिहार के बतौर सीएम रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा था। पटना कोर्ट ने आज बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में अपना फैसला सुना दिया है। इसी के बाद पटना से लेकर दिल्ली, लखनऊ से लेकर कानपुर में राजनीति गर्मा गई है। उनके समर्थक भाजपा और नीतिश की चाल बता लालू यादव को आरोपी मानने से इंकार कर रहे हैं। लालू को अपना बड़ा भाई बताने वाले बिठूर निवासी तत्या टोपे के नाती विनायक राव कहते हैं कि लालू भईया इमानदार और गरीबों के मसीहा हैं। हमारे घर में जहां भगवान विराजे हैं, वहीं लालू यादव की तस्वीर रखी है और हम उन्हें पूजते हैं। भाजपा और नीतिश कुमार ने षणयंत्र के तहत राजनीति द्धेष भावना के तहत भईया को जेल भिजवाया है, लेकिन ऊपर की आदालत से वो बाइज्जत बरी होकर रहेंगे।
तात्या टोपे के वंशज हैं राव, लालू को मानते हैं भगवान
विनायक राव ने कहा, मैं तात्या टोपे का वंशज हूं, वो इनके चचरे बाबा लगते थे। तात्या टोपे और लक्षमण राव टोपे सगे भाई थे। तात्या बड़े भाई थे। इतिहास के पन्नो में तात्या टोपे की एक लड़की मनोरमा और लड़का समर टोपे थे, मगर 1857 के ग़दर के बाद से उनका कोई पता नहीं चला। लक्षमण राव टोपे को भी अंग्रेजों ने उस दौरान जेल में बंद कर दिया था, मगर उनको बाद में बरी कर दिया गया। उनके लड़के नारायण राव टोपे थे, जिनकी संतान विनायक राव है। विनायक ने बताया कि लालू प्रसाद यादव हमारे बाबा (तात्या टोपे) से बहुत प्रभावित थे। वो एक बार कानपुर के आन्नदेश्वर मंदिर आए थे। यहां से नानाराव पेशवा के महल पहुंचे। यहां हमारी मुलाकाल लालू यादव से हुई। लालू यादव ने अपना पर्सनल नंबर दिया और कहा था कि जब भी कोई समस्या हो हमें सिर्फ एक फोन लगा देना। हम आपके पास कुछ घंटों के अंदर मौजूद मिलेंगे।
बेटियों को पढ़ाया और रेलवे में नौकरी दी
विनायक राव ने कहा, लालू यादव ने उनकी दो बेटियों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। इसके बाद बतौर रेलमंत्री उन्होंने 7 जुलाई 2007 मेरी बेटियों को रेलवे में नौकरी भी दी। 27 जून 2007 को एक अधिकारी मेरे घर पर आए। उनको लालू यादव जी ने भेजा था। उस अधिकारी ने बेटियों के दस्तावेज मांगे और लेकर चला गया। करीब 10 दिन के बाद लालू यादव ने पूरे परिवार को दिल्ली बुलाया। वहां पहुंचने के बाद दोनों बेटियों से बातें की, फिर दोनों को कानपुर के कंटेनर डिपो में क्लर्क के पद पर नौकरी के कागज़ थमा दिया था। राव ने कहा, लोग लालू यादव को भले ही चाहे जो समझे, मगर वो हमारे परिवार के लिए तो भगवान हैं । राव कहते हैं कि जब हम दिल्ली में लालू यादव से मिलने गए थे, तब लालू यादव ने उनके आने जाने का पूरा किराया भी दिलवाया था। करीब एक घंटे लालू यादव परिवार के साथ समय बिताया था। उन्होंने हमसे कहा, जीवन में कभी परेशानी आए तो घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उसका मुकाबला डट कर करना चाहिए। राव ने बताया कि अपनी दोनों बेटियों के साथ भईया से मिलने के लिए रांची जेल जाएंगे।
15 साल से जेल के बाहर भीतर होते रहे लालू
लालू यादव पहली बार दिसंबर 2002 में गरीब रथ पर सवार होकर रांची आए थे और उस वक्त बेकन हॉस्टल लालू के लिए कैंप जेल बना था। 1997 में 137 दिन न्यायकि हिरासत में रहे थे लालू। लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 को पहली बार और 1995 में दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने लालू यादव का नाम 1996 में मुख्य रूप से सामने आया। लालू यादव को साल 1997 में पहली बार न्यायिक हिरासत रखे गए और 12 दिसंबर 1997 को रिहा किए गए। 1998 में बेऊर जेल में रखे गए थे लालू । इसके बाद दूसरी बार इस मामले में उन्हें 28 अक्टूबर 1998 को जेल यात्रा करनी पड़ी। लालू को इस मामले में एक बार फिर 28 नवंबर 2000 को गिरफ्तार कयि गया। हालांकि इस बार लालू प्रसाद यादव को सिर्फ 1 दिन ही जेल में गुजारना पड़ा। 2013 में लालू फिर जेल गए। इसके बाद 2013 में चारा घोटाले से ही जुड़े एक मामले में 37 करोड़ रुपये के गबन को लेकर लालू यादव दोषी पाए गए। इस दौरान उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी।

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