सरकार की योजना में भी लाभ कैसे तलाश लिया जाता है यह पिछले दिनों डस्टबिन की खरीद में हुए गोलमाल को लेकर पता चल जाता है। बिना किसी आदेश के डीपीआरओ ने पंचायतों को मौखिक फरमान जारी कर सभी से चिह्नित ठेकेदार से दस-दस डस्टबिन पर पंचायत खरीदने को कहा। जो डस्टबिन उपलब्ध कराए गये उनकी बाजार कीमत 1000 से 1200 है, लेकिन 3600 की चेक प्रधानों से ठेकेदार ने ली। कई प्रधानों के चेक न देने और इसकी शिकायत डीएम से कर देने पर पूरे मामले की परत खुल गई। आखिर डीएम राकेश कुमार ¨सह के आदेश पर तीन सदस्यीय जांच समिति गठित हो गई, दो कदम भी आगे नहीं बढ़े।
जिले की 640 पंचायतों में हर पंचायत से 36000 रुपये की वसूली कूड़ेदान के लिए की गई। इस हिसाब से करीब दो करोड़ 30 लाख 40 हजार रुपये का खेल हुआ। जांच टीम के अधिकारियों में अतिरिक्त मजिस्ट्रेट राजीव उपाध्याय, डीआइओएस अर¨वद कुमार व सहायक लेखाधिकारी कोषागार अनुज दीक्षित ने डीपीआरओ से संबंधित मामले के दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा। इसके लिए तीन बार रिमांडर भी दिया लेकिन आज तक कागजात नहीं दिये गये। इसका परिणाम यह हुआ की जांच में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है। – वहीं डीपीआरओ अजय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं, दस्तावेज के लिए ब्लाकों को पत्र दिया है, अभी तक वह उपलब्ध नहीं हो सके हैं।