केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार गंगा सफाई को लेकर ज्यादा सक्रिय है। इसे लेकर पिछले साल दिसंबर में जाजमऊ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर शासन ने कमिश्नर से निरीक्षण कराया था। जिसकी रिपोर्ट में खामियां मिलने पर जलनिगम पर यह कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई के जरिए शासन ने सख्त संदेश भी दिया है। शासन ने पिछले साल कुंभ से पहले शहर के नालों से गंगा में गिर रहे सीवरेज को रोकने के आदेश दिए थे। लेकिन, नाले मोडऩे का काम धीमा होने के चलते शासन की यह मंशा पूरी न हो सकी। साथ ही टेनरियों के वेस्ट को भी गंगा में जाने से रोकने में यह अफसर नाकाम रहे।
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने मंडलायुक्त की रिपोर्ट में जिम्मेदार बताए गए अफसरों के निलंबन का आदेश जारी किया। इसके मुताबिक, जल निगम के महाप्रबंधक पीके यादव, तत्कालीन महाप्रबंधक आरके अग्रवाल, परियोजना प्रबंधक सुदीप सिंह और घनश्याम द्विवेदी, परियोजना अभियंता शत्रुघ्न सिंह, सहायक परियोजना अभियंता राघवेंद्र प्रताप को निलंबित किया गया है।
सीवरेज और टेनरी वेस्ट गंगा में जाना बंद हुआ या नहीं, इसकी जांच का जिम्मा शासन ने मंडलायुक्त को सौंपा था। इस पर उन्होंने पिछले साल दिसंबर में जाजमऊ स्थित सीईटीपी (कॉमन एफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट) समेत नालों को मोडऩे के कार्यों का निरीक्षण किया था। इसमें उन्हें जाजमऊ सीईटीपी से टेनरी वेस्ट और सीवरेज गंगा में जाते मिला था। इस पर उन्होंने दोषी मिले अधिकारियों के खिलाफ शासन को रिपोर्ट भेजी थी।