यहां तक कि मेडिकल लाइसेंस धारकों को कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है। वहीं इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन वाले ऊंचे दामों में खरीद रहे हैं। इन बढ़ी कीमतों पर लगाम कसने के लिए जिला प्रशासन से मांग की जा रही है। आपको बता दें कि कानपुर मंडल में सबसे अधिक कोविड हॉस्पिटल हैं। कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सरकारी हैलट व कांशीराम के कोविड अस्पताल के अतिरिक्त कई निजी कोविड अस्पताल भी हैं, जहां दो से पांच गुना तक ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है, इससे आपूर्ति करने के लिए बाहर से अतिरिक्त लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मंगानी पड़ रही है।
बताया गया कि पहले ऑक्सीजन की औसत खपत 5 से 600 सिलिंडर थी, जो बढ़कर 3000-3600 हो गई है। यहां तक कि सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति देने वाली मुरारी इंडस्ट्रियल गैसेज, जो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन खुद ही तैयार कर आपूर्ति करती है। इधर महामारी में कई गुना मांग बढऩे पर पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन मंगानी पड़ रही है। जो कई सरकारी एवं गैर सरकारी कोविड अस्पतालों में सप्लाई कर रहे हैं।
मुरारी इंडस्ट्रीयल गैसेज के पार्टनर अजय मिश्रा ने बताया कि पहले 300-400 सिलिंडर की खपत थी। जुलाई से डिमांड 1200 सिलिंडर हो गई है। अब 1600-1700 की डिमांड रोज की है। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन तैयार कर 500-600 सिलिंडर भर लेते थे। मांग पूरी करने के लिए उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से एलएमओ का टैंकर मंगाया जा रहा है। डिमांड बढऩे से कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। 17 रुपये प्रति लीटर मिलने वाली एलएमओ 40 रुपये में मिल रही है। सरकारी टेंडर होने पर आपूर्ति करना मजबूरी है। उन्होंंने कहा कि प्रशासन कुछ प्रयास करें, जिससे बढ़ते मूल्यों में नियंत्रण हो सके।