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UP News : कानपुर देहात के 70 घरों वाले इस गांव का क्यों पड़ा अनोखा नाम, जानते हैं इसका इतिहास?

UP News : कानपुर देहात में 70 घरों का एक गांव है। इस गांव में कुल 270 मतदाता हैं। जबकि इसकी कुल आबादी करीब 500 है। इसके अलावा इस गांव का नाम भी अनोखा है। आइए बताते हैं इसकी पूरी कहानी…

कानपुरApr 15, 2023 / 07:00 pm

Vishnu Bajpai

Kanpur Dehat Village Damadan Purva
UP News : यूपी के कानपुर देहात में एक ऐसा गांव है जिसके नाम की कहानी अपने आप में अनोखी है। यह गांव बहुत ज्यादा पुराना भी नहीं है। यहां आबादी बसने का सिलसिला 50 साल पहले ही शुरू हुआ था। 70 घरों वाले इस गांव में कुल 270 मतदाता हैं। जबकि इसकी कुल आबादी करीब 500 है। इसके अलावा इस गांव का नाम भी अनोखा है। आइए विस्तार से इसके बारे में जानते हैं…
अमूमन गांव के ऐतिहासिक महत्व या उपलब्धि पर होता है नाम
आपने गांवों और शहरों के नाम जरूर सुने होंगे। आमतौर पर इनका नाम वहां की भौगोलिक स्थिति, ऐतिहासिक साक्ष्यों या फिर किसी बड़ी उपलब्धि पर रखा जाता है, लेकिन, यूपी में एक ऐसा गांव है जिसके नाम की कहानी अपने आप में अनोखी है। इस गांव का आधिकारिक नाम हाल-फिलहाल में ही स्वीकार किया गया है। यह कानपुर देहात के सरियापुर गांव के पास बसे इस गांव का नाम है दमादनपुरवा।
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अब बताते हैं गांव के नाम के पीछे का कारण
इस गांव में कुल 70 घर हैं जिसमें से 50 दामादों के हैं। इसमें ज्यादातर दामाद बगल के गांव सरियापुर के हैं। यहां एक के बाद एक दामाद आते गए और मकान बनाकर बसते गए। जब उनकी आबादी ज्यादा हो गई तो आसपास लोगों ने इसे दमादनपुरवा कहना शुरू कर दिया। अब इस पर सरकारी मुहर भी लग गई है। सरकार ने इस गांव को सरियापुर गांव का माजरा मान लिया है।
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1970 में शुरू हुई गांव बसाने की परंपरा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि यहां दामाद बसने की परंपरा 1970 में शुरू हुी थी। कानपुर देहात जिले से 10 किलोमीटर दूर दमादनपुरवा गांव बसा हुआ है। उसी साल सरियापुर गांव के राजरानी की शादी जगमनपुर गांव के सांवरे से हुई थी। शुरू में सांवरे अपने ससुराल में रहने लगे। बाद में जगह कम पड़ी तो उन्हें दमादनपुरवा की ऊसर की जमीन घर बनाने के लिए दे दी गई और यहीं से एक बाद एक दामाद बसने लगे।
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इस गांव के नाम से जारी किया गया पोस्टल एड्रेस
दमादनपुरवा के रूप में गांव की पहचान मिलने की कहानी के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि जब पहली बार इस गांव में स्कूल बना तो उस पर दमादनपुरवा दर्ज हुआ। इसके बाद दामाद बसते गए और जमीन के पट्टे इसी नाम से कटने लगे। सरकारी कागजातों में यह माजरा दमादनपुरवा के नाम से दर्ज है।
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अब तो इस गांव में तीसरी पीढ़ी के दामाद भी बसने लगे हैं। फिहहाल दमादनपुरवा की आबादी करीब 500 से है। इसमें से 270 वोटर हैं। कुल 70 घर हैं जिसमें से 50 घर दामादों के हैं। गांव में दमादनपुरवा का बोर्ड भी लग गया है। लोग इसे देखते हैं, पढ़ते हैं और मुस्कुराते भी हैं। इस गांव का अब पोस्टल एड्रेस भी यही है।

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